आसान नहीं गोमुख का सफर, हिमखंड गिरने का खतरा; रैकी के बाद मिलेगी अनुमति

शीतकाल के दौरान हुई भारी बर्फबारी के कारण इस बार हर्षिल से लेकर गोमुख तक जगह-जगह हिमखंड बने हुए हैं। इन हिमखंडों के गिरने का खतरा बना रहने के कारण गोमुख तक का सफर आसान नहीं होगा। इसी आशंका को देखते हुए गंगोत्री नेशनल पार्क प्रशासन ने पर्वतारोही दलों को अनुमति देने से पहले गोमुख क्षेत्र में रेकी करने का निर्णय लिया है।

इस बार एक अप्रैल को पार्क के गेट खोले जा रहे हैं। हालांकि, शीतकाल में हुई भारी बर्फबारी के कारण अभी तक किसी दल ने गोमुख क्षेत्र में पर्वतारोहण की अनुमति नहीं ली है। पर्वतारोही दल एवं पर्वतारोहण से जुड़े लोग लंबे समय से मांग कर रहे थे कि पर्वतारोहण के लिए एक अप्रैल से अनुमति दी जानी चाहिए।

इसे देखते हुए शासन ने इस बार 15 अप्रैल के बजाय एक अप्रैल से ही गंगोत्री नेशनल पार्क के गेट खोलने का निर्णय ले लिया। हालांकि, सामान्य पर्यटकों को 15 अप्रैल के बाद पार्क क्षेत्र में जाने की अनुमति दी जाएगी।

असल में शीतकाल के दौरान हुई भारी बर्फबारी के कारण अभी भी गंगोत्री और गोमुख के बीच पूरा मार्ग बर्फ के आगोश में है। साथ ही कदम-कदम पर हिमखंड बने हुए हैं। यही वजह है कि अब तक किसी भी पर्वतारोही दल ने आरोहण के लिए अनुमति भी नहीं मांगी है।

किसी भी पर्वतारोही दल या पर्यटकों को यहां जाने की अनुमति तब दी जाएगी, जब पार्क प्रशासन के साथ पर्वतारोहण कराने वाली एजेंसियों के संचालकों की संयुक्त टीम गंगोत्री से गोमुख तक बर्फ की स्थिति की रेकी कर लेगी।

गंगोत्री नेशनल पार्क के उप निदेशक एनबी शर्मा ने बताया कि एक अप्रैल से पर्वतारोही दलों और 15 अप्रैल से सामान्य पर्यटकों को अनुमति दिए जाने का प्रावधान है। इस बार बर्फ इतनी अधिक है कि पार्क की टीम को गंगोत्री स्थित कनखू बैरियर से आगे भेजना खतरे से खाली नहीं।

गंगोत्री से गोमुख के 19 किमी लंबे पैदल मार्ग पर पड़ी बर्फ को हटाने में समय लगना तय है। सबसे अधिक खतरा इस मार्ग पर हिमखंडों के टूटने का है। मार्ग पर कई स्थान ऐसे हैं, जहां विशाल हिमखंड बनते हैं। इनके टूटने से गोमुख ट्रैक पर आने-जाने वाले पर्यटकों का जीवन खतरे में पड़ सकता है।

यात्रा सीजन मे हिमखंडों के दर्शन कराएगी हर्षिल घाटी 

इस बार ग्रीष्मकाल के दौरान यात्रियों को हर्षिल घाटी में जगह-जगह हिमखंडों के दर्शन होंगे। चांगथांग के अलावा मुखवा-जांगला मार्ग पर भी हिमखंड बन गया है, जो भागीरथी नदी के तट तक फैला हुआ है। शुक्रवार को जब यह हिमखंड टूटकर भागीरथी नदी में गिरा तो कुछ देर के लिए भागीरथी का प्रवाह भी अवरुद्ध हुआ।

हालांकि, इससे झील जैसा खतरा तो नहीं बना, लेकिन जिस तरह हिमखंड टूटकर निचले इलाकों में आ रहे हैं, उससे स्थिति खतरनाक बनी हुई है। विदित हो कि इस बार पांच साल बाद हर्षिल घाटी में हिमखंड बने हैं, जिससे पर्यावरण प्रेमी खासे उत्साहित हैं।

हर्षिल से पांच किमी दूर चांगथांग नामक स्थान पर एक विशाल हिमखंड बना हुआ है। हर्षिल की प्रधान एवं पर्यावरणविद बसंती देवी ने बताया कि हर्षिल घाटी में कई स्थानों पर बर्फ के पहाड़ खड़े हैं। लिहाजा, गंगोत्री धाम के कपाट खुलने पर यात्री व पर्यटक हिमखंडों का दीदार कर सकेंगे।

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com