कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया की तस्वीर बदलकर रख दी है। आर्थिक परेशानियों के बीच बढ़ती बेरोजगारी ने लोगों को गलत कदम उठाने पर मजबूर कर दिया है। सूरत में लॉकडाउन के बाद से आत्महत्या के मामले बढ़ गए। एक अनुमान के अनुसार रोजाना औसतन 4 लोग खुदकुशी कर रहे हैं। 25 मार्च से शुरू हुए लॉकडाउन से लेकर अब तक यानी 160 दिन में 700 से अधिक लोग आत्महत्या कर चुके हैं, जिसमें से 320 लोग बेकारी, आर्थिक संकट या फिर नौकरी छूटने से अपनी जान दे चुके हैं। इसी के साथ डायमंड में तेजी के बीच 13 हीरा श्रमिकों ने आर्थिक तंगी की वजह से खुदकुशी कर ली।
वर्ष-2019 में 1450 और 2018 में करीबन 1300 लोगों ने आत्महत्या की थी। रोजाना औसत के हिसाब से 4 लोगों ने खुदकुशी की थी। इसमें आर्थिक संकट समेत सभी मूल कारण शामिल हैं। इस दौरान लोगों ने अलग-अलग प्रकार से खुदकुशी की जैसे- जहर पीकर, फांसी, एसिड, इमारत से या नदी में छलांग, गले और हाथ की नस काटकर, आग, ट्रेन के नीचे कूदकर खुदकुशी की।
खुदकुशी के ये मामले आए सामने
पूणा गांव के हडपति वास में रहने वाले 52 वर्षीय पीताम्बर जेना ने बुधवार को घर में पाॅयजन पी लिया। उसे इलाज के लिए स्मीमेर अस्पताल ले जाया गया, जहां मौत हो गई। परिजनों के अनुसार कामकाज बंद होने से परेशान था। वहीं इसी तरह के एक अन्य मामले में लिंबायत में खराब आर्थिक स्थिति के चलते सुमन संगीत आवास में रहने वाले 33 वर्षीय गजानन थामरे ने घर में फांसी लगा ली।
गुरुवार को भी शहर में दो लोगों ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। अमरोली, कोसाड रोड पर हरि दर्शन सोसाइटी में रहने वाले 23 वर्षीय मेहुल माछी ने सगाई नहीं होने से दुखी होकर घर में फांसी लगा ली। वहीं, डेढ़ महीने उसे कोई काम नहीं मिल पाने से परेशान मजदूरी करने वाले 28 वर्षीय मुकेश मौर्य ने फांसी लगा ली।
कोरोना के डर से मौत को लगाया गले
वहीं खुदकुशी के कारणों में कोरोना महामारी का डर भी एक प्रमुख कारण बना हुआ है। अब तक तीन लोग कोरोना होने के बाद डरकर आत्महत्या कर चुके हैं। तीनों की ही कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी।
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