आयकर विभाग का नोटिस वे दस कारण जिससे आपको मिल सकता है

आयकर विभाग से नोटिस आना किसी के लिए भी परेशानी की बात हो सकती है। आपके पास कई कारणों से आयकर विभाग का नोटिस आ सकता है। इन कारणों में समय पर आयकर रिटर्न ना दाखिल करना, कैलकुलेशन की गलतियां और अपनी वास्तविक आय नहीं दिखाना सहित कई गलतियां शामिल हो सकती है। आज हम आपको ऐसे ही 10 वे बड़े कारण बताने जा रहे हैं जिनसे आपको पास आयकर विभाग का नोटिस आ सकता है।

1. देरी से आयकर रिटर्न फाइन करना

अगर आप अंतिम तिथि तक आयकर रिटर्न दाखिल नहीं करते हैं, तो आपको आयकर विभाग की ओर से रिमाइंडर नोटिस मिल सकता है। यह नोटिस आपको उस असेसमेंट इयर की समाप्ति से पहले मिलेगा जिसमें आपने रिटर्न नहीं भरा है। अगर आप निर्धारित तिथि से पहले अपना रिटर्न फाइल नहीं करते हैं, तो आपको विलंब शुल्क भी देना होगा।

इस तरह के नोटिस से बचने के लिए आपको हर असेसमेंट इयर की आईटीआर फाइल करने की अंतिम तिथि तक अपना आईटीआर दाखिल कर देना चाहिए।

2. इक्विटी से प्राप्त LTCG की गलत रिपोर्ट देना

आपको किसी भी सू‍चीबद्ध शेयर या इक्विटी से जुड़े म्‍यूचुअल फंडों से हुए लॉन्‍ग टर्म कैपिटल गेन की जानकारी इनकम टैक्‍स रिटर्न दाखिल करते समय देनी जरूरी है। आपको यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि आपने सही कैलकुलेशन की है और LTCG की जानकारी का सही उल्लेख किया है। किसी भी सामान्य सी गलती पर आपके पास नोटिस भेजा सा जकता है और उस नोटिस में आयकर विभाग आपसे बकाया टैक्स चुकाने के लिए कह सकता है।

इस तरह के नोटिस से बचने के लिए आपको अपने ब्रोकर या म्यूचुअल फंड हाउस से अपने पूंजीगत लाभ का स्टेटमेंट लेना चाहिए और इसकी सही जानकारी को फॉर्म में दर्ज करनी चाहिए।

3. जब टीडीएस का 26एएस फॉर्म के साथ मिलान नहीं हो

आईटीआर फाइल करते समय टीडीएस का फॉर्म 26 एएस और फॉर्म 16 या 16ए के साथ मिलान होना जरूरी होता है। हालांकि, इसमें कई कारणों से कुछ जानकारी का मिलान नहीं हो पाता है। टीडीएस का मिलान नहीं होने पर आपके पास आयकर अधिनियम की धारा 143(1) के तहत नोटिस आ सकता है।

इस तरह के नोटिस से बचने के लिए आईटीआर फाइल करते समय एक बार 26एएस फॉर्म में दर्ज टीडीएस को जांच लें और सुनिश्चित करें कि टीडीएस की जानकारी सही दर्ज की गई हो।

4. अपनी वास्तविक आय नहीं बताने पर

अगर आप आईटीआर दाखिल करते समय अपनी कोई आय उसमें नहीं दिखाते हो और वह आयकर विभाग के पकड़ में आ जाए, तो आपके पास नोटिस पहुंच सकता है। आय का विवरण नहीं देने के कारण आयकर अधिनियम की धारा 139 (9) या 143 (1) के तहत आपके पास कर विभाग का नोटिस पहुंच सकता है।

इस तरह के नोटिस से बचने के लिए आईटीआर फाइल करने से पहले अपने सभी आय स्रोतों के सभी वित्तीय स्टेटमेंट्स और सूचियों को इकट्ठा कर लें और उसके बाद आईटीआर फाइल करें।

5. जीवनसाथी के नाम पर किये गए निवेश की घोषणा नहीं करने पर

अगर आप अपने आयकर रिटर्न में अपने जीवनसाथी के नाम पर किये गए निवेश की जानकारी नहीं देते हैं, तो आपके पास आयकर विभाग का नोटिस पहुंच सकता है। ऐसी स्थिति में इस निवेश से कुछ आय कर योग्य हो सकती है और आपको अपना आयकर रिटर्न दाखिल करते वक्त इसकी जानकारी देनी ही होगी। जानकारी नहीं देने की स्थिति में आपके पास आयकर अधिनियम की धारा 143(2) के तहत टैक्स विभाग का नोटिस आ सकता है।

इस तरह के नोटिस से बचने के लिए आईटीआर फाइल करते समय जीवनसाथी के नाम पर किये गए निवेश से होने वाली कर योग्य आय की जानकारी अवश्य दें।

6. दोषपूर्ण रिटर्न दाखिल करने पर

अगर आप सही फॉर्म में इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल नहीं करते हो, तो आपके पास आयकर विभाग का डिफेक्टिव रिटर्न नोटिस आ सकता है। आपको यह नोटिस आयकर अधिनियम की धारा 139(9) के तहत मिलेगा। नोटिस मिलने के बाद आपको 15 दिन के अंदर इसका जवाब देना होता है।

नोटिस से बचने के लिए जांच लें कि जिस फॉर्म में आप अपना रिटर्न दाखिल कर रहे हैं, क्या वह सही है।

7. अगर आपने बड़ी राशि का लेन-देन किया है

अगर आपने किसी बड़ी राशि का लेन-देन किया है, तो आपके पास आयकर विभाग का नोटिस आ सकता है। आयकर विभाग हर वित्तीय वर्ष में उन करदाताओं को चिन्हित करता है जो बड़ी राशि का लेन-देन तो करते हैं, लेकिन इनकम टैक्स रिटर्न नहीं भरते। आयकर विभाग आपसे बड़ी राशि के लेनदेन में फंड के स्रोत की जानकारी मांग सकता है।

इस मामले में करदाता को आय के स्रोत की जानकारी देते हुए संतोषजनक जवाब विभाग को भेजना होता है। अगर कर विभाग आपके जवाब से संतुष्ट होता है तो आपका केस बंद कर दिया जाएगा।

8. अगर आपके रिटर्न को जांच के लिए भेजा गया है

आप कभी भी कर अधिकारियों की जांच के दायरे में आ सकते हैं। कर अनुपालन को बढ़ाने के लिए आयकर विभाग रेंडमली रिटर्न की जांच कर सकता है। अगर आपको आयकर विभाग की ओर से आयकर अधिनियम की धारा 143(2) के तहत नोटिस मिलता है, तो इसका मतलब है कि आपके द्वारा फाइल किया गया रिटर्न जांच अधिकारियों द्वारा जांचा जा रहा है।

इस नोटिस से बचने के लिए आयकर रिटर्न में अपनी पूरी आय का ब्योरा दें और बकाया टैक्स का पूरा भुगतान करें।

9. टैक्स बकाया होने के बावजूद रिफंड के लिए क्लेम करने पर

अगर आपने अपने टैक्स भुगतान पर रिफंड के लिए क्लेम किया है, किंतु आप पर पहले से ही टैक्स बकाया है, तो जांच अधिकारी आपको नोटिस भेज सकते हैं। जांच अधिकारी आपसे पिछले साल के बकाया टैक्स को रिफंड अमाउंट में एडजस्ट करने के लिए कह सकता है। इस मामले में आपको आयकर अधिनियम की धारा 245 के तहत नोटिस मिल सकता है।

इस तरह के नोटिस से बचने के लिए हमेशा रिफंड क्लेम करने से पहले ध्यान रखें कि आपके प्रत्येक असेसमेंट इयर का बकाया टैक्स क्लियर हो गया हो।

10. पिछले वर्षों में टैक्स बकाया होने पर

आयकर अधिनियम आयकर विभाग को यह अधिकार देता है कि वह करतादा के पिछले सालों में भरे गए आयकर रिटर्न का भी पुनर्मूल्यांकन कर सकता है। ऐसे में आयकर अधिनियम की धारा 147 के तहत कर विभाग आपको नोटिस जारी कर सकता है।

इस तरह के नोटिस से बचने के लिए आपको अपना आईटीआर पूरी निष्ठा के साथ समय पर भरना चाहिए।

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