प्लास्टिक कचरा पूरी दुनिया के लिए एक विकट समस्या बन चुका है। इससे बचने के लिए विश्वभर में हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। दुनिया के ज्यादातर देश इस समस्या से निपटने के लिए तरह-तरह के प्रयोग कर रहे हैं। प्लास्टिक प्रदूषण कितना खतरनाक है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि प्लास्टिक सालों-साल मिट्टी में दबे रहने के बावजूद मिट्टी का हिस्सा नहीं बन पाता, बल्कि यह पानी को जमीन के अंदर जाने से भी रोक देता है। प्लास्टिक कचरे को पूरी तरह से खत्म करना लगभग न के बराबर है। कई देश इस कचरे से निपटने के लिए कई अलग-अलग उपाय तलाश रहे हैं। कहीं, प्लास्टिक वेस्ट से सड़कों का निर्माण किया जा रहा है तो कहीं इससे ईंधन बनाया जा रहा है। वहीं, कनाडा के बिल्डरों ने प्लास्टिक के कचरे को पर्यावरण के अनुकूल ढालने का नया तरीका खोज निकाला है। जोएल जर्मन और डेविड सउलनिर के नेतृत्व वाली निर्माण कंपनी जेडी कम्पोजिट्स ने प्लास्टिक कचरे की मदद से तीन बेडरूम वाला एक घर तैयार किया है। जो अपनी तरह का पहला घर है।
मेटागन नदी के किनारे बना ये घर किसी भी आम घर की तरह दिखता है। इसमें एक रसोईघर, तीन बेडरूम, बाथरूम और टेरेस है। पहली नजर में आप नहीं बता पाएंगे कि ये घर किस मटेरियल से बना है। इस घर को बनाने के लिए जोएल जर्मन और डेविड सउलनिर ने लगभग 6 लाख से ज्यादा प्लास्टिक की बोतलों का इस्तेमाल किया है।
इस घर की दिवारें खास तरह के फोम से बनाई गई हैं, जिसे पीइटी (पॉलीइथाइलीन टेरेफ्थेलेट) कहा जाता है। इसे बनाने के लिए प्लास्टिक कचरे को रिसाइकल करके उसे छर्रे नूमा आकार में ढाल लिया जाता है। पीइटी को बनाने के लिए सबसे पहले प्लास्टिक कचरे को गर्म कर पिघला लिया जाता है।
दूसरे चरण में पिघले हुए प्लास्टिक कचरे से छोटे-छोटे छर्रे बना लिए जाते हैं। इसेक बाद इन छर्रों को एक बड़े आकार के टैंक में डाला जाता हैं। यहीं पर इन छर्रों को गैसों के साथ मिलाया जाता है। टैंक में मौजूद गैस प्लास्टिक के छर्रों को पिघला कर फोम में तबदील कर देती है। टैंक से बाहर निकलने के बाद ये फोम बिलकुल शेविंग फोम की तरह काम करता है। इसे जैसे ही बाहर निलाका जाता है, ये फैलना शुरू हो जाती है।
ठंडा होने के बाद ये फोम ठोस हो जाती है। न तो ये फोम सड़ती है और न ही इसमें फफूंदी ही लगती है। बिल्डरों ने इसी फोम का उपयोग कर इस ग्रीन हाउस की 5.9 इंच की दीवारों का निर्माण किया है। प्लास्टिक कचरे से बने ये पैनल कठोर से कठोर मौसम का सामना करने में भी पूरी तरह से सक्षम हैं। फोम को घर के अंदर और बाहर दोनों जगहों पर फाइबरग्लास के साथ कवर किया जाता है। सूरज की रोशनी से बचाने के लिए इसपर यूवी पेंट की परत चढ़ाई जाती है।
जर्मन और सउलनिर ने पैनल की सहन शक्ति को जांचने के लिए एक नमूना जांच के लिए भेजा। परिक्षण के दौरान सामने आया कि पैनल श्रेणी 6 के तूफान जिसमें 326 मील प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चलती हैं, उसका सामना भी असानी से कर सकता है। बता दें कि पूरी दुनिया में इस तरह की सिर्फ चार ही कंपनियां हैं जो इस फोम को बनाती हैं और इस फोम से घर बनाने वाली जेडी कम्पोजिट्स अब तक की एकमात्र कंपनी है।