आप भी यदि सेल्‍फी लेने और मोबाइल फिल्‍टर यूज करने के शौकीन हैं तो हो जाएं सावधान

बार सेल्फी लेना और सुंदर दिखने के लिए फिल्टर्स का प्रयोग कर फोटो की एडिटिंग करना, अब ये शौक नहीं दिमागी बीमारी बनता जा रहा है। यह बात एक अध्ययन से सामने आई है। अमेरिका स्थित बोस्टन मेडिकल सेंटर के शोधकर्ताओं का कहना है स्नैपचैट और फेसट्यून जैसे एप्लीकेशन का प्रयोग कर सोशल मीडिया पर सुंदर दिखने की होड़ यूजर्स में बढ़ती जा रही है। किशोर खासकर लड़कियां सुंदर दिखने के फोबिया से ग्रसित हो रही हैं। ये सोशल मीडिया को ही सुंदर दिखने की सही जगह मानने लगे हैं।

शोधकर्ताओं ने अध्ययन के आधार पर पता लगाया कि फोटो, खासकर सेल्फी में सुंदर दिखने वाले युवा शारीरिक कुरूपता संबंधी मानसिक विकार के शिकार हो रहे हैं। युवा पहले सेल्फी लेते हैं और फिर उन्हें फोटो पसंद न आए तो एडिटिंग के जरिये अपने लुक को बेहतर बनाने का प्रयास करते हैं। बार-बार फोटो में सुंदर न दिखने पर लोग प्लास्टिक सर्जरी और अन्य थेरेपी की ओर रुख कर रहे हैं। कुल जनसंख्या में करीब दो प्रतिशत लोग इस बीमारी के शिकार हैं।

सोशल मीडिया को माना प्रामाणिक

शोध में सामने आया है कि बार-बार अपनी फोटो बदलने वाली और हाव-भाव बदल फोटो अपलोड करने वालीं लड़कियां मानती हैं कि सोशल मीडिया पर ही सुंदर दिखना वास्तव में सुंदर होना है। शोध में शामिल किए किए गए 55 प्रतिशत प्लास्टिक सर्जन का भी यही कहना है कि उनके पास सबसे ज्यादा ऐसे मरीज आ रहे हैं जो सेल्फी में सुंदर दिखना चाहते हैं।

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