चांदी धातु को सबसे पवित्र कहा जाता है और इस धातु को सबसे मुख्य भी माना जाता है. ऐसे में रस शास्त्र के अनेक ग्रंथों में चांदी को सोने से भी अधिक शुद्ध धातु का माना गया है और यही वजह है कि पूजा के बर्तन, नैवेद्य पात्र आदि भी चांदी के बनाए जाते हैं. आप सभी को बता दें कि आयुर्वेद के ग्रंथों में भी चांदी के अनेक प्रयोग बताए गए हैं जिनसे तन और मन को स्वस्थ रखा जा सकता है और चांदी के बारे में तो यहां तक कहा जाता है कि इस धातु के बर्तन में नियमित पानी पीने से न केवल शरीर स्वस्थ रहता है, बल्कि मानसिक तंदुरूस्ती भी प्राप्त होती है.
वहीं चांदी हमारे प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूती प्रदान करके आयु में वृद्धि करती है और मां लक्ष्मी की प्रिय धातु भी चांदी है और स्वर्ण पर भी उनका समान अधिकार है. आप सभी को बता दें कि मां लक्ष्मी के एक रूप रजत लक्ष्मी की पूजा भी चांदी से ही जुड़ी है. कहते हैं चांदी पर चंद्र का विशेष अधिकार होता है इस कारण से जिस भी जातक को अधिक क्रोध आता है उसे चांदी की चेन में चंद्रमा का पेंडेंट बनाकर गले में पहना दें. इसी के साथ चांदी मानसिक मजबूती प्रदान करती है और इसे धारण करने से मन एकाग्र और शांत होता है.
इसी के साथ घर में पूजा के बर्तन चांदी के होना अत्यंत शुभ होता है और इनमें चांदी के दीपक, आचमनी, लोटा, घंटी होना शुभ रहता है. इसी के साथ इन्हे घर में रखने से वैभवता, संपन्नता आती है. कहते हैं घर में चांदी की लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमा अवश्य होना चाहिए क्योंकि इससे आर्थिक समृद्धि बनी रहती है.