दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग में अज्ञात आतंकियों के हाथों एक पंडित सरपंच की हत्या के बाद पंच और सरपंचो में डर का मौहोल है. बड़ी संख्या में लोग घर छोड़ कर भाग गए हैं. यह दावा कुलगाम से बीजेपी के सरपंच विजय रैना ने किया है. विजय के अनुसार अनिल पंडिता के बाद उनको डर है कि उनकी भी हत्या कर दी जाएगी.
सोमवार, 8 जून को अज्ञात आतंकियों ने अनंतनाग के लार्किपोरा में 42 साल के अनिल पंडिता की गोली मार कर हत्या कर दी थी. अनिल कांग्रेस पार्टी से जुड़े हुवे थे और अनंतनाग के लार्किपोरा के लोकभावन पंचायत हलके के सरपंच थे.
@narendramodi Ji @AmitShah Ji am serving my people in Kashmir as a Sarpanch and BJP District Spokesperson, Kulgam. My friend #AjayPandita was eliminated. I may be the next. Repeated requests to administration and party high command has shown no response till date. Please Help. 😥
— Vijay Raina (@vijayraina71) June 11, 2020
विजय रैना, खुद भी कुलगाम के चाव्ल्गाम से सरपंच है और कुलगाम में कश्मीरी विस्थापित पंडितो के लिए बनी कॉलोनी में रहते हैं. बीजेपी के साथ जुड़े होने के बावजूद भी विजय, केंद्र और राज्य प्रशासन पर उनकी सुरक्षा के साथ अनदेखी का आरोप लगा रहे हैं. रैना ने प्रधानमंत्री को ट्वीट करके भी इस खतरे के बारे में जानकारी दी थी. पार्टी सत्र पर भी बात करने का दावा किया है लेकिन अभी तक कोई जवाब नहीं आया है.
विजय का कहना है कि जहां बड़ी संख्या में कश्मीरी पंच और सरपंच भाग कर जम्मू चले गए हैं और पिछले एक साल से वह सुरक्षा की मांग कर रहे हैं. लेकिन ना तो प्रदेश प्रशासन और ना ही केंद्र सरकार उनकी मदद कर रही है. इसीलिए वह खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं.
Did any militant organisation take responsibility for his killing?
Sometimes facts are totally different. Actually there many different agencies working to disturb peace in J&K.— Mrs Samir Bhat (@SamirABhat) June 12, 2020
कश्मीर घाटी में पिछले 10 सालों में बीस से जायदा पंचों और सरपंचो की हत्या हुई है. लिकिन पिछले साल हुए चुनावों के बाद चुने गए करीब 30 हज़ार से ज्यदा पंचो और सरपंचो को सुरक्षा देने में पुलिस ने पहले ही हाथ खड़े कर दिए हैं.
जम्मू कश्मीर पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार पंचो और सरपंचो के लिए हर जिले में विशेष सुरक्षित आवास पर्याप्त किये गए हैं. जहां वह सुरक्षा के साथ रह सकते हैं. जिन सरपंचो कि सुरक्षा में खतरे का आंकलन होता है उन को सुरक्षा प्रदान की जाती रही है. लेकिन सभी 30 हज़ार पंच सरपंच को सुरक्षा देना संभव नहीं है.
लेकिन इस नए हत्याकांड के बाद कश्मीर घाटी में गंदेरबल, पुलवामा, शोपियन, कुलगाम बडगाम और श्रीनगर के भी कई पंचो और सरपंचो ने सुरक्षा की मांग की है. इन सभी का कहना है कि आने वाले दिनों में सरकार के वर्चस्व को चुनौति देने के लिए और बड़ी संख्या में आतंकियों का सफाया होने की कीमत इनको चुकानी पड़ेगी.