गृह एवं रक्षा मंत्रालय से जुड़े सूत्रों ने कहा कि सीआरपीएफ काफिले पर हमले के बाद सरकार ने आतंकवादियों से निपटने के लिए बड़े स्तर पर अभियान शुरू करने को कहा है। इसके बाद बलों की तरफ से अपनी तैयारियां की जा रही हैं। कश्मीर घाटी खासकर दक्षिणी कश्मीर में सुरक्षा बलों, सेना के जवानों की तैनाती में और बढ़ोत्तरी की जा रही है। दूसरे, स्थानों से जवानों को वहां भेजने को कहा गया है। इसके जरिए आतंकवाद से प्रभावित इलाकों में बड़े पैमाने पर खोजबीन अभियान चलाकर आतंकियों की धरपकड़ शुरू करने का है।
आत्मघाती हमले के बाद कश्मीर के अशांत क्षेत्रों में सुरक्षा बलों की तैनाती बढ़ाने पर विचार चल रहा है। उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि सेना एवं सुरक्षा बलों दोनों की तैनाती में बढ़ोत्तरी की जाएगी। साथ ही आम्र्ड फोर्सेस स्पेशल पावर एक्ट (एएफएसपीए) का क्रियान्वयन भी सख्ती से किया जाएगा। सुरक्षा बलों की रणनीति आने वाले दिनों में कश्मीर में आतंकियों के खिलाफ सख्त अभियान चलाने की है।
सुरक्षा बलों से जुड़े सूत्रों का कहना है कि आमतौर पर शांत इलाकों में एएफएसपीए के प्रावधानों को बल इस्तेमाल में नहीं लाते हैं। इन प्रावधानों को सुरक्षा तक ही सीमित रखते हैं। जबकि यह कानून सुरक्षा बलों को खोज और तलाशी का भी अधिकार देता है, लेकिन बलों का कहना है कि आतंकी इसका फायदा उठा रहे हैं। इसलिए अब शांत माने जाने वाले क्षेत्रों में भी आतंकियों की संभावित गतिविधियों पर बलों की नजर रहेगी।
सूत्रों का कहना है कि नियंत्रण रेखा पर सेना की तैनाती बढ़ाई जाएगी। साथ ही अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बीएसएफ की संख्या में भी बढ़ोत्तरी की जाएगी। ताकि किसी भी कीमत पर घुसैपठ को सफल नहीं होने दिया जाए। बलों की रणनीति यह है कि एक तरफ घुसपैठियों पर रोक लगाई जाए तो दूसरी तरफ कश्मीर के भीतर मौजूद आतंकियों का सफाया किया जाए।
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