आज मार्गशीर्ष की सोमवती अमावस्या है। आप सभी को बता दें कि जो भी अमावस्या सोमवार के दिन पड़ती है उसे सोमवती अमावस्या कहा जाता है। जी दरअसल यह अमावस्या हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखती है। कहते हैं इस दिन चंद्रमा के दर्शन नहीं होते हैं और इस दिन सुहागिन स्त्रियां अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं। वैसे मार्गशीर्ष की अमावस्या के दिन पितरों की शांति के लिए तर्पण, स्नान और दान-धर्म जैसे कार्य किए जाते हैं। अब आज साल की अंतिम सोमवती अमावस्या है ऐसे में हम आपको बताने जा रहे हैं पूजा विधि और महत्व।
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मार्गशीर्ष सोमवती अमावस्या पूजा विधि – कहा जाता है इस दिन किसी पवित्र नदी, तालाब या कुंड में स्नान करें और सूर्य देव को अर्घ्य दें। इसके बाद गायत्री मंत्र का पाठ करें। अब भगवान शिव की पूजा करें और फिर पितरों का तर्पण करें और उनके मोक्ष की कामना करें। इसके बाद किसी जरूरतमंद को भोजन और वस्त्र का दान करें। कहा जाता है इस दिन देवी लक्ष्मी का पूजन किया जाता है। इसी के साथ सोमवती अमावस्या के दिन सुहागिन स्त्रियां पीपल की पूजा करती हैं और भगवान शिव की विशेष पूजा अर्चना कर कमजोर चंद्रमा को बलवान करते हैं।
मार्गशीर्ष सोमवती अमावस्या का महत्व – कहते हैं पितरों के तर्पण के लिए मार्गशीर्ष अमावस्या बेहतरीन होती है। जी दरअसल इस दिन पितरों का पूजन करने से उनका आशीर्वाद प्राप्त हो जाता है और इसके अलावा उनकी आत्मा को शांति मिलती है।