आज विजयादशमी का महापर्व है इस पावन अवसर पर आप सभी को ढ़ेरों शुभकामनाएं : PM मोदी

मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार। आज विजयादशमी यानि दशहरे का पर्व है | इस पावन अवसर पर आप सभी को ढ़ेरों शुभकामनाएं। पहले दशहरे पर बड़े-बड़े मेले लगते थे उसका आकर्षण भी बहुत रहता था। लेकिन कोरोना के संकट काल में हमें संयम से काम लेना है। मर्यादा में रहना है। 

कुछ ही दिनों बाद सरदार वल्लभ भाई पटेल जी की जन्म जयंती, 31 अक्टूबर को हम सब, ‘राष्ट्रीय एकता दिवस’ के तौर पर मनाएंगे। क्या आप सरदार पटेल के बारे में एक बात जानते हैं जो उनके सेंस ऑफ ह्यूमर को दर्शाती है। बापू ने सरदार पटेल के बारे में कहा था- उनकी विनोदपूर्ण बातें मुझे इतना हंसाती थी कि हंसते-हंसते पेट में बल पड़ जाते थे, ऐसा दिन में एक बार नहीं, कई-कई बार होता था।

इसमें, हमारे लिए भी एक सीख है, परिस्थितियां कितनी भी विषम क्यों न हों, अपने सेंस ऑफ ह्यूमर को जिंदा रखिए। मेरे प्यारे देशवासियो, सरदार पटेल ने अपना पूरा जीवन देश की एकजुटता के लिए समर्पित कर दिया। उन्होंने भारतीय जनमानस को स्वतंत्रता आंदोलन से जोड़ा। उन्होंने आजादी के साथ किसानों के मुद्दों को जोड़ने का काम किया। उन्होंने राजे-रजवाड़ों को हमारे राष्ट्र के साथ एक करने का काम किया। 

साथियों आपको ये जानकार खुशी होगी कि पूरे भारत में अनेक लोग हैं जिन्हें ज्ञान के प्रसार से अपार खुशी मिलती है। ये वो लोग हैं जो हमेशा इस बात के लिए तत्पर रहते हैं कि हर कोई पढ़ने के लिए प्रेरित हों। इसके साथ ही गुजरात के भावनगर की भी दो संस्थाओं के बारे में जानता हूं जो बेहतरीन कार्य कर रही हैं। उनमें से एक है ‘विकास वर्तुल ट्रस्ट’। 

साथियो, हमारे देश मे कितनी ही मार्शल आर्ट्स हैं। मैं चाहूंगा कि हमारे युवा-साथी इनके बारे में भी जाने, इन्हें सीखें। मेरे प्यारे देशवासियो, कहा जाता है ‘लर्निंग इज ग्रोइंग’। आज ‘मन की बात’ में, मैं आपका परिचय एक ऐसे व्यक्ति से कराऊंगा जिसमें एक अनोखा जुनून है। ये जुनून है दूसरों के साथ रीडिंग और लर्निंग की खुशियों को बांटने का।

मेरे प्यारे देशवासियो, जब हमें अपनी चीजों पर गर्व होता है, तो दुनिया में भी उनके प्रति जिज्ञासा बढती है। जैसे हमारे आध्यात्म ने, योग ने, आयुर्वेद ने, पूरी दुनिया को आकर्षित किया है। भारत में तो प्रचीन काल से कई ऐसे खेल रहे हैं, जो हमारे भीतर, एक असाधारण विकास करते हैं। हमारे माइंड, बॉडी बैलेंस को एक नए आयाम पर ले जाते हैं। लेकिन संभवतः नई पीढ़ी के हमारे युवा साथी, मलखंब से उतना परिचित ना हों। आप इसे इंटरनेट पर जरूर सर्च करिए और देखिए।

मेरे प्यारे देशवासियो, आज जब हम लोकल के लिए वोकल हो रहे हैं तो दुनिया भी हमारे लोकल प्रोडक्ट्स की फैन हो रही है। हमारे कई लोकल प्रोडक्ट्स में ग्लोबल होने की बहुत बड़ी शक्ति है। जैसे एक उदाहरण है- खादी। खादी की पॉपुलैरिटी तो बढ़ ही रही है, साथ ही, दुनिया में कई जगह, खादी बनाई भी जा रही है। मेक्सिको में एक जगह है ओहाका। इस इलाके में कई गांव ऐसे है, जहां स्थानीय ग्रामीण, खादी बुनने का काम करते है। आज, यहां की खादी ‘ओहाका खादी’ के नाम से प्रसिद्ध हो चुकी है। साथियो, दिल्ली के कनॉट प्लेस के खादी स्टोर में इस बार गांधी जयंती पर एक ही दिन में एक करोड़ रुपये से ज्यादा की खरीदारी हुई। इसी तरह कोरोना के समय में खादी के मास्क भी बहुत पॉपुलर हो रहे हैं। 

साथियो, त्योहारों के इस हर्षोल्लास के बीच में लॉकडाउन के समय को भी याद करना चाहिए। लॉकडाउन में हमने समाज के उन साथियों को और करीब से जाना है जिनके बिना हमारा जीवन बहुत मुश्किल हो जाता। कठिन समय में ये ये आपके साथ थे, अब अपने पर्वों में अपनी खुशियेां में भी हमें इनको साथ रखना है। हमें अपने उन जाबाज सैनिकों को भी याद रखना है, जो इन त्योहारों में भी सीमाओं पर डटे हैं। भारत-माता की सेवा और सुरक्षा कर रहें हैं। हमें उनको याद करके ही अपने त्योहार मनाने हैं। हमें घर में एक दीया, भारत माता के इन वीर बेटे-बेटियों के सम्मान में भी जलाना है।

पहले, दुर्गा पंडाल में, मां के दर्शनों के लिए इतनी भीड़ जुट जाती थी- एकदम, मेले जैसा माहौल रहता था, लेकिन, इस बार ऐसा नही हो पाया। इस बार जब आप खरीदारी करने जायें तो ‘वोकल फोर लोकल’ का अपना संकल्प अवश्य याद रखें। बाजार से सामान खरीदते समय, हमें स्थानीय उत्पादों को प्राथमिकता देनी है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देशवासियों को अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम मन की बात के जरिए संबोधित कर रहे हैं। यह उनके मासिक रेडियो कार्यक्रम की 70वीं है। इसे आकाशवाणी और दूरदर्शन के समूचे नेटवर्क पर प्रसारित किया जा रहा है। 

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