आज से यहां देश का पहला चार मंजिला सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट शुरू हो चुका है। हरिद्वार में भी ऐसे 20 से अधिक नालों को बंद किया जा चुका है।इसमें ऋषिकेश से सटे मुनि की रेती का चंद्रेश्वर नगर नाला भी शामिल है। इसके कारण यहां गंगा जी के दर्शन के लिए आने वाले और राफ्टिंग करने वाले साथियों को बहुत परेशानी होती थी।
अब गंगा म्यूजियम के बनने से यहां का आकर्षण और अधिक बढ़ जाएगा। ये म्यूजियम हरिद्वार आने वाले पर्यटकों के लिए, गंगा से जुड़ी विरासत को समझने का एक माध्यम बनने वाला है।
उत्तराखंड में तो स्थिति ये थी कि गंगोत्री, बद्रीनाथ, केदारनाथ से हरिद्वार तक 130 से अधिक नाले गंगा जी मे गिरते थे। आज इन नालों में से अधिकतर को रोक दिया गया है।
इस चौतरफा काम का परिणाम हम सब देख रहे हैं। आज नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत 30 हजार करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाओं पर या तो काम चल रहा है, या पूरा हो चुका है।
तीसरा- गंगा नदी के किनारे बसे 100 बड़े शहरों और 5,000 गांवों को खुले में शौच से मुक्त करना। चौथा- जो गंगा जी की सहायक नदियां हैं, उनमें भी प्रदूषण रोकने के लिए पूरी ताकत लगाना।
सरकार ने चारों दिशाओं में एक साथ काम आगे बढ़ाया। पहला- गंगा जल में गंदा पानी गिरने से रोकने के लिए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांटों का जाल बिछाना शुरू किया दूसरा- सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट ऐसे बनाए, जो अगले 10-15 साल की भी जरूरतें पूरी कर सकें।
अगर पुराने तौर-तरीके अपनाए जाते, तो आज भी हालत उतनी ही बुरी रहती। लेकिन हम नई सोच, नई अप्रोच के साथ आगे बढ़े। हमने नमामि गंगे मिशन को सिर्फ गंगा जी की साफ-सफाई तक ही सीमित नहीं रखा, बल्कि इसे देश का सबसे बड़ा और विस्तृत नदी संरक्षण कार्यक्रम बनाया।
उत्तराखंड में उद्गम से लेकर पश्चिम बंगाल में गंगा सागर तक मां गंगा देश की करीब-करीब आधी आबादी के जीवन को समृद्ध करती हैं। इसलिए गंगा की निर्मलता आवश्यक है, गंगा जी की अविरलता आवश्यक है। बीते दशकों में गंगा जल की स्वच्छता को लेकर बड़े बड़े अभियान शुरू हुए थे। लेकिन उन अभियानों में न तो जन भागीदारी थी और न ही दूरदर्शिता।
आज मां गंगा की निर्मलता को सुनिश्चित करने वाली 6 बड़ी परियोजनाओं का लोकार्पण किया गया है। इसमें हरिद्वार, ऋषिकेश, बद्रीनाथ और मुनि की रेती में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट और म्यूजियम जैसे प्रोजेक्ट भी शामिल हैं, इनके लिए मैं उत्तराखंड के सभी लोगों को बहुत बहुत बधाई देता हूं।
चारधाम की पवित्रता को अपने में समेटे देवभूमि उत्तराखंड की पावन धरा को मेरा नमन। आज जिस पुस्तक का विमोचन हुआ है, उसमें भी विस्तार से ये बताया गया है कि गंगा किस तरह हमारे सांस्कृतिक वैभव, आस्था और विरासत का बहुत बड़ा प्रतीक है।