18 वर्ष पहले आज ही के दिन सौरव गांगुली की युवा टीम ने वो जीत हासिल की थी जो हर इंडियन के दिमाग में हमेशा के लिए वस् गई थी, जिसे कोई भी भुला नहीं सकता और इस कहानी की मूलपाठ लिखा था सौरव गांगुली की टीम के दो यंग युवराज सिंह और मोहम्मद कैफ ने. इंडिया ने वर्ष 2002 में लॉर्डस मैदान पर नेटवेस्ट ट्रॉफी के फाइनल में ऐतिहासिक जीत अपने नाम कर ली. नासिर हुसैन की कप्तानी वाली इंग्लैंड टीम ने उस मैच में पहले बल्लेबाजी करते हुए पांच विकेट के नुकसान पर 325 रन बना पाई. मार्कस ट्रैस्कोथिक ने 109 और कप्तान हुसैन ने 115 रनों के साथ मैच खेला.
बड़े लक्ष्य का पीछा करते हुए सौरव गांगुली और वीरेंद्र सहवाग ने पहले विकेट के लिए 106 रनों की पार्टनरशिप की थी. लेकिन यहां से टीम अचानक से हिल उठी और 24 ओवरों में उसका स्कोर 146 रनों पर 5 विकेट गिर गए. सौरव गांगुली के आउट होन के बाद भारत ने नियमित अंतराल पर सहवाग, दिनेश मोंगिया, राहुल द्रविड़ और सचिन तेंदुलकर के विकेट चले गए. जंहा से मोहम्मद कैफ और युवराज सिंह ने खेल को बरक़रार रखा और पार्टनरशिप करते हुए टीम की जीत की दहलीज पर ले गए.
जंहा दोनों ने एक साथ 106 गेंदों पर 121 रनों की पार्टनरशिप की और इंडिया को वापस मैच में ले गए. पॉल कॉलिंगवुड ने युवराज सिंह को 69 के निजी स्कोर पर पवेलियन भेज दिया और यहां लगा कि भारत जीत से पीछे रह जाता. लेकिन मोहम्मद कैफ ने हरभजन सिंह के साथ 47 रनों की साझेदारी के साथ टीम मैच में बनी रही. हरभजन और अनिल कुंबले के आउट होने के बाद भी मोहम्मद कैफ ने एक छोर संभाले रखते हुए इंडिया को जीताया. कैफ 75 गेंदों पर 87 रन बना नाबाद वापस आए.