- उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की अध्यक्षता में आज मंत्रिपरिषद द्वारा निम्नलिखित महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए:-
लखनऊ: मंत्रिपरिषद ने जिलाधिकारी देवरिया, आयुक्त एवं सचिव राजस्व परिषद तथा राजस्व विभाग की आख्याओं/परामर्श के दृष्टिगत ग्राम मेहड़ तप्पा धतुरा, परगना-सिलहट, तहसील व जिला देवरिया स्थित आराजी संख्या-1384 मि0 रकबा 0.625 हे0 (1.54-1/2 एकड़) भूमि को कृषि ज्ञान केन्द्र, देवरिया हेतु कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान विभाग, उ0प्र0 शासन के माध्यम से आचार्य नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, कुमारगंज, अयोध्या के पक्ष में निःशुल्क हस्तांतरित किए जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है।
मंत्रिपरिषद के इस निर्णय से कृषकों तथा कृषि से सम्बन्धित जनसमुदाय को जागरूक तथा शिक्षित बनाने और प्रदर्शन, प्रशिक्षण, परीक्षण, किसान मेला, गोष्ठी एवं सामयिक साहित्य प्रसार कार्यों से नवीन कृषि तकनीकों को पहुंचाने एवं उन्नत बीज उपलब्ध कराए जाने सम्बन्धी लाभ होंगे।
उ0प्र0 जल निगम के सरप्लस कार्मिकों को स्थानीय निकायों में बॉडीशॉपिंग के आधार पर प्रतिनियुक्ति के आधार पर तैनात किए जाने तथा जल निगम के मृत कार्मिकों के आश्रितों को स्थानीय निकायों में नियुक्त किए जाने के सम्बन्ध में
मंत्रिपरिषद ने उ0प्र0 जल निगम की विषम आर्थिक स्थिति एवं स्थानीय निकायों में कार्मिकों की आवश्यकता के दृष्टिगत उ0प्र0 जल निगम के सरप्लस कार्मिकों को स्थानीय निकायों में प्रतिनियुक्ति के आधार पर तैनात किए जाने तथा जल निगम के मृत कार्मिकों के आश्रितों को स्थानीय निकायों में नियुक्त किए जाने के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।
इसके अन्तर्गत निर्णय लिया गया है कि उत्तर प्रदेश जल निगम के चिन्हित सरप्लस कार्मिकों को विभिन्न नागर निकायों में समकक्ष रिक्त पदों के सापेक्ष बॉडीशॉपिंग के आधार पर प्रति नियुक्ति पर रखा जाए। नागर निकायों में बॉडीशॉपिंग के आधार पर प्रतिनियुक्ति पर रखे जाने वाले कार्मिकों को प्रतिनियुक्ति विषयक सुसंगत शासनादेशों में निर्धारित आयु सीमा तथा प्रतिनियुक्ति की अवधि की सीमा से मुक्त रखा जाए व तदनुसार यह कार्मिक नागर निकायों में आवश्यकतानुसार सेवानिवृत्त होने तक कार्य कर सकेंगे।
मंत्रिपरिषद द्वारा यह निर्णय भी लिया है कि उ0प्र0 जल निगम के इन कार्मिकों को उनके कार्य, अनुभव एवं दक्षता के दृष्टिगत पदों की अर्हता के सम्बन्ध में यथावश्यकता शिथिलता प्रदान करते हुए उक्तानुसार नागर निकायों में सेवायोजित किया जाए। इन कार्मिकों को उ0प्र0 जल निगम में अनुमन्य वेतन आदि के समतुल्य धनराशि का भुगतान सम्बन्धित निकायों द्वारा उ0प्र0 जल निगम के माध्यम से किया जाए। उ0प्र0 जल निगम के सरप्लस इन कार्मिकों की प्रतिनियुक्ति अवधि को सेवा सम्बन्धी/सेवानिवृत्तिक लाभों हेतु गणना की जाए।
मंत्रिपरिषद ने निर्णय लिया है कि उ0प्र0 जल निगम के मृतक कार्मिकों के आश्रितों को ‘उत्तर प्रदेश सेवाकाल में मृत सरकारी सेवकों के आश्रितों की भर्ती नियमावली, 1974 (यथासंशोधित)’ के सुसंगत प्राविधानों के अनुसार विभिन्न नागर निकायों में रिक्त पदों पर नियुक्ति प्रदान की जाए। यह व्यवस्था अपवाद स्वरूप केवल एक बार ही की जाएगी और इसे भविष्य में उदाहरण नहीं माना जाएगा।
मंत्रिपरिषद ने इस व्यवस्था में कार्यहित में आवश्यक संशोधन/परिवर्तन हेतु मुख्यमंत्री जी को अधिकृत किए जाने के प्रस्ताव को भी अनुमोदित कर दिया है।
मंत्रिपरिषद के इस निर्णय से उ0प्र0 जल निगम के 1238 सरप्लस नियमित फील्ड कर्मचारियों को नियमित रूप से वेतन मिलेगा एवं 263 मृतक आश्रित को अनुकम्पा नियुक्ति प्राप्त होगी। इस निर्णय से जल निगम की वित्तीय आर्थिक स्थिति में सुधार आएगा। साथ ही, नागर निकायों में संचालित हो रही योजनाओं के क्रियान्वयन में तेजी आएगी, जिससे जनसामान्य को बेहतर सुविधा प्राप्त होगी।
उ0प्र0 मलिन बस्ती क्षेत्र (सुधार एवं निपातन) अधिनियम, 1962 में प्रथम संशोधन के रूप में नयी धाराओं 40 और 41 को सम्मिलित किए जाने तथा उ0प्र0 मलिन बस्ती क्षेत्र (सुधार एवं निपातन) अधिनियम, 1962 (संशोधन) विधेयक 2021 को विधान मण्डल के विचारार्थ प्रस्तुत करने का प्रस्ताव अनुमोदित
मंत्रिपरिषद ने उ0प्र0 मलिन बस्ती क्षेत्र (सुधार एवं निपातन) अधिनियम, 1962 में प्रथम संशोधन के रूप में नयी धाराओं 40 और 41 को सम्मिलित किए जाने तथा उ0प्र0 मलिन बस्ती क्षेत्र (सुधार एवं निपातन) अधिनियम, 1962 (संशोधन) विधेयक 2021 को विधान मण्डल के विचारार्थ प्रस्तुत करने के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।
उ0प्र0 मलिन बस्ती क्षेत्र (सुधार एवं निपातन) अधिनियम, 1962 की धारा 39 के अनुसार राज्य सरकार को इस अधिनियम में नियम बनाने का अधिकार दिया गया है, परन्तु स्लम पुनर्विकास के क्रियान्वयन हेतु विनियम बनाए जाने का अधिकार प्राप्त नहीं है। इस अधिकार को प्राप्त करने हेतु अधिनियम में नयी धारा 40 व 41 सम्मिलित करने के लिए उ0प्र0 मलिन बस्ती क्षेत्र (सुधार एवं निपातन) अधिनियम, 1962 (संशोधन) विधेयक 2021 विधान मण्डल से पारित कराया जाना प्रस्तावित है। अधिनियम में संशोधन के उपरान्त शहरी क्षेत्र की मलिन बस्ती की झुग्गी, झोपड़ी में रहने वाले लाभार्थियों के लिए पुनर्विकास नीति 2021 बनाना सम्भव हो सकेगा।
उ0प्र0 जल संभरण तथा सीवर व्यवस्था (संशोधन) विधेयक, 2021 को राज्य विधान मण्डल में पुरास्थापित/पारित कराए जाने का प्रस्ताव अनुमोदित
मंत्रिपरिषद ने उ0प्र0 जल संभरण तथा सीवर व्यवस्था (संशोधन) विधेयक, 2021 को राज्य विधान मण्डल के द्वितीय सत्र 2021 में पुरास्थापित/पारित कराए जाने के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।
प्रस्तावित संशोधन से उ0प्र0 जल निगम का सुदृढ़ीकरण/पुनर्गठन होगा, जिसके फलस्वरूप जनसामान्य को बेहतर पेयजल सुविधा उपलब्ध होगी। साथ ही, प्रस्तावित संशोधन से जल निगम का प्रशासनिक/वित्तीय सुदृढ़ीकरण भी होगा, जिससे जल निगम के कर्मचारियों को सेवा सम्बन्धी लाभ प्राप्त होंगे।
ज्ञातव्य है कि उत्तर प्रदेश जल निगम की नगरीय एवं ग्रामीण योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन एवं अनुश्रवण हेतु उ0प्र0 जल संभरण तथा सीवर व्यवस्था अधिनियम, 1975 में संशोधन का प्रस्ताव है। संशोधन के मुख्य बिन्दुओं के अंतर्गत निगम को उ0प्र0 जल निगम (नगरीय) तथा उ0प्र0 जल निगम (ग्रामीण) के रूप में परिभाषित किया गया है। प्रमुख सचिव नगर विकास विभाग, प्रमुख सचिव अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास, प्रमुख सचिव आवास एवं शहरी नियोजन, उ0प्र0 जल निगम (नगरीय) के तथा प्रमुख सचिव पंचायती राज, प्रमुख सचिव नमामि गंगे एवं ग्रामीण जलापूर्ति, प्रमुख सचिव ग्राम्य विकास, उ0प्र0 जल निगम (ग्रामीण) के पदेन सदस्य होंगे। इसके अतिरिक्त निदेशक स्थानीय निकाय, उ0प्र0 जल निगम (शहरी) तथा निदेशक पंचायती राज विभाग, उ0प्र0 जल निगम ग्रामीण के पदेन सदस्य होंगे। प्रस्तावित विधेयक में उ0प्र0 जल निगम (नगरीय) एवं उ0प्र0 जल निगम (ग्रामीण) के कार्यक्षेत्र एवं कृत्यों को निर्धारित किया गया है। कार्मिकों के सेवा सम्बन्धी देयकों एवं परिसम्पत्तियों के विभाजन की व्यवस्था की गई है। उ0प्र0 जल निगम (नगरीय) तथा उ0प्र0 जल निगम (ग्रामीण) के कार्मिकों के समायोजन, उनके वेतन भत्तों तथा सेवा सम्बन्धी अन्य देयकों के भुगतान के सम्बन्ध में व्यवस्था प्राविधानित की गई है।
उ0प्र0 ग्रामीण अभियंत्रण विभाग ड्राइंग अधिष्ठान सेवा नियमावली, 1983 में संशोधन का प्रस्ताव अनुमोदित
मंत्रिपरिषद ने उ0प्र0 ग्रामीण अभियंत्रण विभाग ड्राइंग अधिष्ठान सेवा नियमावली, 1983 में संशोधन के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।
उत्तर प्रदेश ग्रामीण अभियंत्रण सेवा विभाग ड्राइंग अधिष्ठान सेवा नियमावली-1983 में संगणक वर्तमान में परिवर्तित पदनाम अवर अभियन्ता (प्राविधिक) के पद पर भाग-4 अर्हताएं के अन्तर्गत नियम 8-1 शैक्षिक अर्हताएं में ‘उ0प्र0 प्राविधिक शिक्षा परिषद द्वारा मान्यता प्राप्त किसी संस्था से सिविल अभियंत्रण में डिप्लोमा’ के स्थान पर ‘उ0प्र0 प्राविधिक शिक्षा परिषद अथवा विधि द्वारा स्थापित किसी भी मान्यता प्राप्त संस्था से सिविल इंजीनियरिंग में 03 वर्षीय डिप्लोमा अथवा विधि द्वारा स्थापित किसी भी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय/संस्था से सिविल अभियंत्रण में बी0टेक0 डिग्री या समकक्ष शैक्षिक अर्हता रखता हो’, का प्राविधान किया जाना प्रस्तावित है, ताकि उच्चतर अर्हताधारक अभ्यर्थियों एवं उच्चतर अर्हताधारक मृतक आश्रितों को भी उक्त पद पर भर्ती का अवसर प्राप्त हो सके। इसके दृष्टिगत सेवा नियमावली में संशोधन का निर्णय लिया गया है।