सेक्स को लेकर बहुत सारी अजीबोगरीब बातें, रिवाज, चलनों की बात होती है। इनमें से कई ऐसे हो सकते हैं जिनके बारे में हमने सुना भी नहीं होगा लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि ये चलन सदियों से दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों में प्रचलित रहे हैं।
हम में से ज्यादातर लोग मौजूदा समय की सेक्स प्रवृत्तियों जैसे स्टीलथिंग, पेगिंग और पैनसेक्शुअलिटी के बारे में जानते होंगे। लेकिन बहुत से लोगों को यह पता नहीं है कि सेक्स के अजीबोगरीब रिवाज सिर्फ 21वीं सदी तक ही सीमित नहीं है बल्कि सदियों पहले भी इस तरह के रिवाज पाए जाते थे।
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लिपस्टिक और ऑरल सेक्स का संबंध: प्राचीन मिस्र में लिपस्टिक लगाने का मतलब होता था कि आप ऑरल सेक्स के लिए तैयार हैं। दरअसल मिस्र की दरबारी वेश्याएं अपनी ऑरल सेक्सपर्टाइज का दिखावा करने के लिए लिपस्टिक लगाती थीं। वहीं से लिपस्टिक और ऑरल सेक्स का कनेक्शन सामने आया।
नुकीले जूतों का चलन : हालांकि आज भी नोकीले जूते पहनने का प्रचलन है लेकिन इसका वह अर्थ नहीं है जोकि सदियों पहले था। उल्लेखनीय है कि 15वीं सदी में नुकीले और लंबे अंगूठे वाले जूते का रिवाज था जिसे पूलिनंस के नाम से जाना जाता था। ऐसा माना जाता था कि जितना नुकीला जूता होगा, उतना ही बड़ा पहनने वाले का पीनिस होगा।
हैती में धार्मिक संस्कार था सेक्स : हालांकि भारत में अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष को हिंदू जीवन शैली का आधार माना जाता है और सेक्स संबंधी रीति-रिवाज भी विभिन्न रूपों में प्रचलन में रहे हैं। इसी तरह से गर्मी के मौसम में हैती के निवासी एक जलप्रपात में जाकर नंगे नहाते थे और प्रेम की देवी की पूजा करते थे। कुछ ज्यादा धार्मिक लोग बलि दिए गए जानवरों के खून में सेक्स करने को अच्छा मानते थे।
सेक्स को बुरा भी माना जाता रहा : दुनिया में जहां ऐसे क्षेत्र और इलाके रहे हैं जहां सेक्स को सहज और स्वाभाविक माना जाता रहा है वहीं कुछ देश ऐसे भी रहे हैं जहां सेक्स को बहुत बुरा माना जाता रहा है। आयरलैंड में एक द्वीप था आइनिस बीग, जहां के निवासियों का मानना था कि सेक्स उनकी सेहत के लिए सही नहीं है। अगर वे कभी सेक्स करने का फैसला भी करते थे तो अंडरवेअर पहने रहते थे।
इरेक्टाइल डिस्फंक्शन का इलाज : आज के समय में इरेक्टाइल डिस्फंक्शन एक आम और सामान्य समस्या है जिसके बहुत से इलाज हैं। लेकिन 17वीं सदी में ऐसा नहीं था। उस समय लोग इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए ऑटोइरॉटिक असफिकसिएशन करते थे जिसमें सांस को कुछ समय के लिए रोकना होता था।
पैरों में गुदगुदी करना : रूस के जार शासन में महारानी खासतौर पर जारिना को खुश करने के लिए ऐसे व्यक्ति होते थे जो उनकी संतुष्टि के लिए फूट टिकलर्स यानी पैरों में गुदगुदी करने का काम करते थे। इतना ही नहीं, फुट टिक्लर्स जारिना को खुश करने के लिए गंदे गाने भी गाया करते थे।
नई चीज नहीं है टेंटैकल पॉर्नोग्राफी : यह दुनिया को एशिया की देन है। जापान में यह ट्रेंड वास्तव में 1800 में शुरु हुआ था। जिस पहले जापानी कलाकार ने अपनी रचना में ऑक्टोपस और इंसान के बीच सेक्स को दिखाया था, वह होकुसाई था। उसने 1814 में ‘द ड्रीम ऑफ द फिशरमैन्स वाइफ’ नाम से पेंटिंग बनाई जिसमें एक महिला को ऑक्टपस के साथ संभोग करते दिखाया।