1985 बैच के आईपीएस अधिकारी एसएन श्रीवास्तव को दिल्ली का नया पुलिस आयुक्त नियुक्त कर दिया गया है। दिल्ली में हिंसा के बीच उनकी तैनाती दिल्ली में विशेष पुलिस आयुक्त (लॉ एंड ऑर्डर) के पद पर की गई थी। वह फिलहाल जम्मू-कश्मीर में सीआरपीएफ में तैनात थे।
गृहमंत्रालय ने उन्हें तुरंत रिलीव करने का आदेश मंगलवार को जारी कर दिया था। एसएन श्रीवास्तव के कार्यकाल में दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल ने आईपीएल मैच फिक्सिंग का खुलासा किया था। उस समय वह स्पेशल सेल में विशेष पुलिस आयुक्त थे।
दिल्ली पुलिस के वर्तमान पुलिस आयुक्त अमूल्य पटनायक 29 फरवरी को रिटायर हो रहे हैं। अमूल्य पटनायक को दिल्ली विधानसभा के चुनावों को देखते हुए एक महीने का विस्तार दिया गया था। उनका ये विस्तार 29 फरवरी को खत्म हो रहा है।
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल जब से हिंसाग्रस्त उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हालात काबू करने मैदान में उतरे, पुलिस आयुक्त अमूल्य पटनायक सीन से गायब हो गए।
मंगलवार देर रात डोभाल ने इलाके के डीसीपी के दफ्तर में पहली बैठक की तो वहां पटनायक नहीं थे। अगले दिन बुधवार को फिर उसी दफ्तर में हुई बैठक से भी पटनायक नदारद रहे। बताया जाता है कि डोभाल जब पहली बैठक कर रहे थे तो पटनायक को आधे रास्ते से वापस जाने को कह दिया गया था।
एनएसए इस मामले में विशेष आयुक्त (अपराध) सतीश गोलचा और नवनियुक्त विशेष कमिश्नर (कानून-व्यवस्था) एसएन श्रीवास्तव से बात कर रहे हैं। गृह मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक रविवार रात से मंगलवार रात तक पीसीआर को मिले कॉल डिटेल की समीक्षा के बाद हिंसा रोकने में नाकामी की जिम्मेदारी तय की जा सकती है।
रिटायरमेंट के बाद महीनेभर सेवा विस्तार पर दिल्ली पुलिस के मुखिया पटनायक को कई बातों का जवाब देना पड़ेगा। सूत्रों ने बताया कि दिल्ली पुलिस सीधे गृह मंत्रालय के तहत है, लिहाजा एनएसए और पीएमओ स्तर पर मंत्रालय की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं।
डोभाल इस बात से सख्त नाराज थे कि इलाके की पुलिस की तरफ से बार-बार फोर्स भेजने की गुजारिश के बाद भी कार्रवाई क्यों नहीं की गई। पीसीआर कॉल डिटेल से साफ है कि स्थानीय पुलिस ने करीब सात बार हालात की गंभीरता की जानकारी देते हुए फोर्स या बड़े अधिकारी के न होने की बात कही।
सूत्रों के मुताबिक दिल्ली पुलिस आयुक्त के पास स्पेशल आर्म्ड फोर्स की 24 कंपनी हमेशा रिजर्व रहती है। इसे कमिश्नर कहीं भी भेज सकते हैं। इसके अलावा दिल्ली पुलिस की करीब 100 कंपनियां ऐसी होती हैं जो ड्यूटी पर नहीं रहतीं। इन्हें इमरजेंसी में कहीं भी भेजा जा सकता है।
डोभाल ने पूछा कि कमिश्नर ने पर्याप्त फोर्स भेजने का फैसला क्यों नहीं किया। कमिश्नर की यह दलील भी काम नहीं करेगी कि पूरी दिल्ली पुलिस ट्रंप की सुरक्षा में तैनात थी और पुलिस की कमी थी। डोभाल के जिम्मेदारी संभालते ही दिल्ली पुलिस की 53 और अर्धसैनिक बल की 73 कंपनियां तैनात कर दी गईं।