भगवान जगन्नाथ मंदिर अहमदाबाद की रथयात्रा अदालती रोक के चलते मंदिर परिसर में ही निकाली गई, लेकिन इसके एक दिन बाद ही अब मंदिर के संत दिलीपदास जी महाराज ने सरकार पर सीधा आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने अपना वचन भंग कर दिया। उन्हें सरकार पर भरोसा था कि रथयात्रा निकालने की मंजूरी मिल जाएगी लेकिन उच्च न्यायालय ने इस पर रोक लगा दी।
गलत लोगों पर किया भरोसा
मंदिर के संत दिलीपदासजी महाराज ने कहा कि हमने गलत लोगों पर भरोसा किया, सरकार ने हमारे साथ वचनभंग किया। एक व्यक्ति ने मुझे कहा था कि यात्रा निकलेगी, हम लोगों को उन पर बहुत भरोसा था लेकिन हमारे साथ गेम किया गया, जिन पर भरोसा रखा वो टूट गया। अहमदाबाद के आराध्य देव भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा बीते 142 साल से सतत निकल रही है, बताया जाता है कि वर्ष 1985 में हिंदू मुस्लिम दंगों के दौरान भी रथयात्रा निकाली गई थी लेकिन इस बार कोरोना महामारी के चलते गुजरात उच्च नयायालय ने इस पर रोक लगा दी जिसके चलते मंगलवार को मंदिर परसिर में ही यात्रा निकाली गई तथा बहुत सीमित श्रद्धालुओं को दर्शन करने दिया गया।
मंदिर ट्रस्टी महेंद्र झा का कहना है कि उन्हें सरकार ने भरोसा दिया था कि रथयात्रा निकाली जाएगी, उधर हाईकोर्ट को रथयात्रा के एक पक्षकार के रूप में हमारा पक्ष भी जानना चाहिए था। हाईकोर्ट ने सरकार से सुनवाई के दौरान ये सवाल भी उठाया बताया कि मंदिर प्रशासन इसमें खुद पक्षकार नहीं बन रहा ओर थर्ड पार्टी याचिकाएं कर रही हैं।
मंदिर प्रशासन व सरकार आमने-सामने
रथयात्रा को लेकर मंदिर प्रशासन व सरकार आमने-सामने है, महंत दिलीप दास व ट्रस्टी महेंद्र झा का कहना है कि सरकार ने भी उन्हें अंधेरे में रखा, समय रहते उच्चतम न्यायालय में जाने दिया जाता तो पुरी की रथयात्रा की तरह अहमदाबाद में भगवान जगन्नाथ की 143वीं एतिहासिक रथयात्रा भी निकाली जा सकती थी। गौरतलब है कि सरकार आखिर तक कोरोना संक्रमण के खतरे का आंकलन करती रही जिसके चलते कानूनी लडाई में हार गई ओर रथयात्रा को अपने पारंपरिक जड़ों से निकाले जाने की मंजूरी नहीं मिल सकी।