सीपीईसी और भारत की परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में सदस्यता के दावे सहित विभिन्न मुद्दों पर संबंधों में तनाव के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शुक्रवार को चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के साथ ‘सौहादपूर्ण’ मुलाकात हुई और उन्होंने एक दूसरे की ‘मूल चिंताओं’ के सम्मान करने और विवादों को उचित तरीके से निपटाने की जरूरत पर जोर दिया.
शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन के इतर कजाकिस्तान की राजधानी अस्ताना में दोनों नेताओं की मुलाकात हुई. भारत द्वारा बेल्ट एंड रोड फोरम का बहिष्कार किए जाने के बाद दोनों नेताओं के बीच यह पहली मुलाकात है. पिछले माह बीजिंग में आयोजित इस फोरम का भारत ने बहिष्कार किया था. इसमें विश्व के 29 नेताओं ने हिस्सा लिया था. बेल्ट एंड रोड पहल (बीआरआई) के तहत बनने वाले 50 अरब डॉलर के चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारे से जुड़ी अपनी चिंताओं को रेखांकित करने की वजह से भारत ने इस सम्मेलन में हिस्सा नहीं लिया था. यह गलियारा पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में गिलगित और बाल्टिस्तान से होकर गुजरता है. शी के साथ अपनी मुलाकात के दौरान मोदी ने कहा कि दोनों पक्षों को अपनी क्षमताओं का लाभ उठाते हुए, संवाद को मजबूत करते हुए और अंतरराष्ट्रीय मामलों में तालमेल बढ़ाते हुए एक दूसरे की चिंताओं का सम्मान करना चाहिये तथा अपने विवादों का उचित तरीके से निपटारा करना चाहिये.
मोदी ने कहा एससीओ में भारत के शामिल होने में चीन के समर्थन पर भारतीय पक्ष आभारी है और संगठन में चीन के साथ निकटता से काम करेगा. उन्होंने कहा कि चीन के सहयोग के बिना एससीओ का सदस्य बनना भारत के लिए मुमकिन नहीं होता. बैठक के व्यापक नतीजे का विवरण देते हुए विदेश सचिव एस जयशंकर ने कहा कि ऐसे समय जब विश्व आर्थिक अनिश्चिता के दौर से गुजर रहा है भारत और चीन स्थिरता का कारक है और चूंकि विश्व और बहुध्रुवीय हो गया है ऐसे में महत्वपूर्ण है कि दोनों देश और निकटता से काम करे. उन्होंने मुलाकात को ‘सौहार्दपूर्ण’ और ‘बेहद सकारात्मक’ बताते हुए संवाददाताओं से कहा, “वहां यह समझ थी कि जहां भी हमारे बीच मतभेद हैं, वहां यह महत्वपूर्ण है कि मतभेद विवाद नहीं बने.
चीन की ‘बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव’ का अप्रत्यक्ष संदर्भ देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को संप्रभुता और भूभागीय अखंडता का सम्मान किए बिना संपर्क परियोजनाएं (कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट्स) शुरू किए जाने के खिलाफ आगाह किया. शांगहाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सालाना शिखर सम्मेलन में अपने संबोधन में मोदी ने चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग की मौजूदगी में कहा कि क्षेत्र के देशों के साथ संपर्क भारत के लिए प्राथमिकता है और ऐसी परियोजनाओं को चाहिए कि वह समावेश तथा निरंतरता सुनिश्चित करें.
उन्होंने कहा, “एससीओ सदस्य देशों के साथ संपर्क भारत के लिए प्राथमिकता है और हम दिल से इसका समर्थन करते हैं. हम चाहते हैं कि संपर्क से सहयोग के बढ़ने की राह बने और समाज तथा युवाओं के बीच विश्वास बढ़े. संप्रभुता और भूभागीय अखंडता का सम्मान करना जरूरी है. समावेशीकरण और निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए यह महत्वपूर्ण भी है.” भारत शी की पसंदीदा परियोजना ‘बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव’ (बीआरआई) का धुर आलोचक है क्योंकि बीआरआई का हिस्सा चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारा है और 50 अरब डालर की लागत से बन रहा यह गलियारा पाक अधिकृत कश्मीर से हो कर गुजरता है.
भारत ने कहा कि वह इस परियोजना को स्वीकार नहीं कर सकता क्योंकि इसमें संप्रभुता एवं भूभागीय अखंडता को लेकर उसकी मुख्य चिंता को दरकिनार किया गया है. शी ने अपने संबोधन में बीआरआई पर पिछले माह बीजिंग में हुए सम्मलेन को सफल बताया और कहा कि एससीओ परियोजना के सफल कार्यान्वयन के लिए महत्वपूर्ण मंच की भूमिका निभा सकता है. बीआरआई को ‘वन बेल्ट वन रोड इनीशिएटिव’ भी कहा जा रहा है. साथ ही चीनी राष्ट्रपति ने एक प्रस्ताव भी रखा जिसमें एससीओ सदस्यों के बीच अगले पांच साल तक अच्छे पड़ोसी की दीर्घकालिक नीति की जरूरत पर जोर दिया गया है.