केंद्र सरकार ने गुरुवार को अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए चौथी बार कई राहतें दीं। इसके तहत त्योहारों के दौरान ज्यादा से ज्यादा कर्ज देने के लिए अगले एक माह में 400 जिलों में लोन मेले लगेंगे।
इसका मकसद मकान खरीदारों और किसानों समेत कर्ज चाहने वालों को ऋण सुलभ कराना है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के प्रमुखों के साथ बैठक के बाद यह घोषणा की।
3 घंटे से ज्यादा चली बैठक के बाद उन्होंने बताया कि खुले रूप से बैंकों की दो चरणों में बैठकें होगी। पहली बैठक मंगलवार 24 सितंबर से 29 सितंबर को 200 जिलों में होगी। उसके बाद 10 अक्तूबर से 15 अक्तूबर के बीच 200 अन्य जिलों में ऐसी बैठकें होंगी। उन्होंने कहा कि इसके पीछे सोच है कि त्योहारों के दौरान ज्यादा से ज्यादा कर्ज देना सुनिश्चित हो सके। दिवाली अक्तूबर में है। इसे देश में खरीदारी का सबसे अच्छा समय माना जाता है।
सरकार ने बताया कि इन जिलों का चुनाव बैंक खुद करेंगे और जल्द ही इनकी सूची जारी कर दी जाएगी। इन कैम्पों में कारोबारी जरूरत, कृषि, घर और गाड़ी खरीदने जैसे चीजों के लिए कर्ज दिया जाएगा। ये कर्ज बैंकों और एनबीएफसी के जरिए दिए जाएंगे। यही नहीं जिन जिलों में कर्ज का वितरण होगा वहां के सांसद और कई जगहों पर केंद्र और राज्य सरकार के मंत्री भी मौजूद रहेंगे।
वित्त मंत्री ने ये भी कहा कि वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर इस बार को सुनिश्चित करेंगे कि कर्ज के लिए लगाए गए कैम्प में सरकार के प्रतिनिधि या सांसद जरूर मौजूद रहें। इस कर्ज के जरिए सरकार बैकों के जरिए सिस्टम में तरलता बढ़ाना चाहती है। साथ ही जरूरतमंद लोगों के हाथ में रकम पहुंचाकर सिस्टम में मांग भी पैदा करना चाहती है।
छोटे व्यापारी छह माह में चुका सकेंगे बकाया कर्ज
सरकार ने छोटे कारोबारियों को बड़ी राहत दी है। सरकार ने बैंकों से कहा कि वे 31 मार्च, 2020 तक सूक्ष्म, लघु और मझोले उपक्रमों (एमएसएमई) के दबाव वाले कर्ज को गैर निष्पादित आस्तियां (एनपीए) घोषित नहीं करें। सरकार ने एमएसएमई यानी छोटे कारोबारियों की तरफ से वन टाइम सेटलमेंट की पेशकश करने वालों का ब्योरा भी मांगा है।
ये ब्योरा 1 जुलाई से 30 सितंबर तक इकट्ठा किया जाएगा। साथ ही सरकार ने बैंकों से एमएसएमई के कर्ज के पुनर्गठन पर काम करने को कहा है। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के प्रमुखों के साथ बैठक के बाद वित्त मंत्री मे कहा कि रिजर्व बैंक की ओर से पहले ही परिपत्र जारी किया जा चुका है जिसमें कहा गया है कि एमएसएमई के दबाव वाले कर्ज को एनपीए घोषित नहीं किया जाए। उन्होंने कहा कि बैंकों को इस परिपत्र का अनुपालन करने को कहा गया है।