महाराष्ट्र में भाजपा की अगुवाई वाली सरकार की सहयोगी पार्टी शिवसेना ने भीमा कोरेगांव में हिंसा के लिए देवेंद्र फड़नवीस सरकार पर हमले जारी रखते हुए शनिवार को कहा कि जातीय संघर्ष के कारण महाराष्ट्र अराजकता और विध्वंस की ओर बढ़ रहा है। शिवसेना के मुखपत्र सामना के संपादकीय में कहा गया, दलित बंद आयोजित कर रहे हैं और हिंदुत्ववादी संगठन मोर्चा निकाल रहे हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि महाराष्ट्र समृद्धि की ओर बढ़ने की बजाए जाति संघर्ष के कारण अराजकता और विध्वंस की ओर बढ़ रहा है।
संपादकीय में कहा गया कि अगर प्रकाश आंबेडकर की अगुवाई वाले भारिपा बहुजन महासंघ (बीबीएम) की ओर से बुलाया गया बंद शांतिपूर्ण था तो नेता के तौर पर उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए। उसमें कहा गया, उनके सहयोगी दिशाहीन हो चुके हैं। कोल्हापुर में छत्रपति शिवाजी की प्रतिमा को क्षतिग्रस्त कर दिया गया। इसमें कहा गया है कि शिवसेना जाति संघर्ष के वक्त मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस के साथ एकजुटता दिखा रही थी, क्योंकि वह महाराष्ट्र की अस्मिता की रक्षा करना चाहती थी और कानून व्यवस्था सुनिश्चित करना चाहती थी।
मुखपत्र के अनुसार एक जनवरी को भीमा कोरेगांव में हुई झड़प का इस्तेमाल जातीय हिंसा भड़काने में इस्तेमाल करने की कोशिशें हो रही हैं। उन्होंने कहा कि किसी भी दलित नेता ने समुदाय के सदस्यों के तेवरों को शांत करने की कोशिश नहीं की जो कि किसी भी तरीके से उनकी बात सुनने के लिए तैयार नहीं थे। राज्यव्यापी बंद के दौरान करो़ड़ों की संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया। एमएसआरटीसी को 25 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। संपादकीय में कहा गया, यह वक्त इस बात की समीक्षा करने का नहीं है कि क्या जातीय हिंसा भाजपा को या किसी अन्य पार्टी को लाभ पहुंचाएगी।
कानून व्यवस्था पूरी तरह सही: फड़नवीस
पिछले कुछ दिनों में कई हिस्सों में असंतोष के बावजूद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने शनिवार को कहा कि राज्य में कानून व्यवस्था पूरी तरह सही है। इसमें कोई समस्या नहीं है। पिछले दिनों पुणे, मुंबई सहित कई हिस्सों में असंतोष के चलते भी़ड़ ने सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया। इससे आर्थिक गतिविधियां प्रभावित हुई थीं। 3 जनवरी को राज्य बंद का आयोजन किया गया था। इस दौरान कुछ हिस्सों में हिंसा भी हुई। दो लोगों की मौत हुई और कई लोग घायल हुए।
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