वाशिंगटन, अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के इंजेंविनिटी हेलीकॉप्टर (Ingenuity Helicopter) ने एक बार फिर लाल ग्रह पर उड़ान भरी। इंजेंविनिटी को चलाने वाले लोग इस 1.8 किलोग्राम वजनी हेलिकॉप्टर को 7वीं बार मंगल के आसमान में उड़ाया गया। नासा की योजना के मुताबिक इस हेलिकॉप्टर को एक नए एयरफील्ड में भेजने की है। इंजेंविनिटी को जेजेरो क्रेटर की सतह की वर्तमान लोकेशन से दक्षिण में 105 मीटर दूर ले जाने की योजना बनाई गई है।
तीन दिनों में इसका डाटा पृथ्वी पर भेजा जाएगा
नासा के अधिकारियों ने कहा है कि उड़ान के बाद के तीन दिनों में इसका डाटा पृथ्वी पर भेजा जाएगा। यह दूसरी बार होगा, जब इंजेंविनिटी हेलीकॉप्टर किसी ऐसे हवाई क्षेत्र में उतरेगा, जहां उसने पिछली उड़ान के दौरान हवा से सर्वेक्षण नहीं किया था। इसके बजाय इंजेंविनिटी नासा के ‘मार्स रिकोनिसेंस ऑर्बिटर’ पर लगाए गए कैमरे द्वारा एकत्र की गई तस्वीर पर भरोसा कर रही है। ऑपरेशन के लिए यह नया बेस अपेक्षाकृत सपाट है। यहां थोड़े बहुत ही अवरोधक हैं।
इसके पूर्व उड़ान के दौरान हुई थी गड़बड़ी
इसके पूर्व इंजेंविनिटी ने 22 मई को अपनी छठी उड़ान के दौरान भी एक नई जगह पर उड़ान भरी थी। हालांकि, यह उड़ान सफल नहीं हो पाई थी। दरअसल, हेलिकॉप्टर में एक गड़बड़ी आ गई थी, इस वजह से इस पर लगे नेविगेशन कैमरे द्वारा ली गई तस्वीर में थोड़ी देर के लिए बाधा आ गई, लेकिन हेलिकॉप्टर सफलतापूर्वक अपने निर्धारित लैंडिंग वाली जगह पर लैंड करने में कामयाब हुआ था।
इंजेंविनिटी हेलीकॉप्टर और रोवर की खासियत
- नासा का इंजेंविनिटी हेलीकॉप्टर महज 2 किग्रा वजनी है। इसमें किसी तरह का कोई साइंस इंस्ट्रूमेंट नहीं लगा है। इसकी उड़ान के समय नासा का मार्स रोवर परसिवरेंस इस पर पूरी निगाह रखता है। उड़ान के दौरान ये रोवर परसिवरेंस लगातार इससे मिलने वाले डाटा को मिशन कंट्रोल रूम में ट्रांसफर करता रहेगा। हालांकि, करोड़ों किमी की दूरी होने की वजह से सिग्नल ट्रांसफर होने में करीब 15-30 मिनट का समय लगेगा। यही वजह है कि नासा इसको लेकर होने वाली कमेंट्री कुछ देर से शुरू करेगा।
- रोवर में इसके अलावा वेदर स्टेशन, 19 कैमरे लगे हैं। नासा को इनकी मदद से स्पष्ट तस्वीरें मिलने की उम्मीद है। इससे पहले यह अंतरिक्ष एजेंसी मंगल पर मोबाइल साइंस व्हीकल भेज चुका है, लेकिन पर्सिवियरेंस इससे ज्यादा बड़ा और परिष्कृत है। इसको मंगल की चट्टानों के नमूने एकत्र करने के लिहाज बनाया गया है। रोवर अपने साथ परियोजना से जुड़े कुछ खास उपकरण भी लेकर गया है।
- इसमें यह हेलीकॉप्टर भी है, जिसे दूसरे ग्रह पर नियंत्रित उड़ान परीक्षण बनाया गया है। नासा के अनुसार अगर हेलिकॉप्टर टेक ऑफ और कुछ दूर घूमने में सफल रहा तो मिशन 90 फीसद कामयाब होगा। अगर यह सफलतापूर्वक लैंड करने के बाग भी काम करता रहा तो चार और फ्लाइट्स टेस्ट की जाएंगी।
मिशन पर 2.7 अरब डॉलर का खर्च
बता दें कि पर्सिवियरेंस रोवर 18 फरवरी को मंगल ग्रह पर लैंड हुआ था। 2.7 अरब डॉलर का यह मिशन है। इसका प्राथमिक मकसद करीब तीन अरब साल पहले जब मंगल जीवन के ज्यादा अनुकूल था तब शायद मंगल ग्रह पर सूक्ष्म जीव पनपें हों इसका पता लगाना है। रोवर में दो माइक्रोफोन हैं। पिछले दिनों उसने इसकी मदद से सतह पर चहलकदमी का आडियो भेजा था। अंतरिक्ष एजेंसी ने एक 16 मिनट का ऑडियो जारी किया था। इसमें मंगल की सतह पर रोवर के पहियों के चलने की आवाज सुनाई दे रही है।