डेटा स्टोरेज को लेकर भारतीय और विदेशी पेमेंट कंपनियों में जंग छिड़ी हुई है। रिजर्व बैंक के मुताबिक सभी पेमेंट कंपनियों को भारत में डेटा स्टोर करना था। इसके लिए 6 महीने का वक्त भी दिया गया था। लेकिन वीसा, मास्टर कार्ड और अमेरिकन एक्सप्रेस जैसी विदेशी कंपनियां इसमें छूट चाहती हैं। हालांकि पेटीएम जैसी भारतीय कंपनियां देश में डेटा स्टोरेज के पक्ष में हैं। विदेशी कंपनियां डेटा स्टोरेज का इसलिए विरोध कर रही हैं क्योंकि डेटा स्टोरेज के लिए उन्हें काफी खर्च करना पड़ेगा। जानकारी के मुतबिक आर्थिक मामलों के सचिव एससी गर्ग की अध्यक्षता में हुई बैठक में भारतीय कंपनियों ने राष्ट्रहित का हवाला देते हुए भारत में डेटा स्टोरेज करने की बात कही है। लेकिन रिजर्व बैंक अब कुछ स्पष्टीकरण जारी कर सकती है। पेटीएम की प्रवक्ता ने कहा कि डेटा प्राइवेसी की जरूरत को देखते हुए भारतीय यूजर्स के लेन-देन के आंकड़े भारत में ही स्टोर होने चाहिए। सिर्फ दो भारतीयों के ट्रांजैक्शन का आंकड़ा विदेश में रखने की कोई जरूरत नहीं है।
आरबीआई चाहता है कि अप्रैल में 55% डिजिटल पेमेंट पेटीएम और यस बैंक के जरिए हुए थे। इस क्षेत्र में और कंपनियां आएं। इसके लिए वह 30 सितंबर तक कंसल्टेशन पेपर जारी करने वाला है। आरबीआई ने कहा कि मोबाइल वॉलेट से पेमेंट 5 गुना बढ़ा है। मई में 96.4 करोड़ क्रेडिट और डेबिट कार्ड के जरिए 3.5 लाख करोड़ रु. के डिजिटल पेमेंट हुए। यह नवंबर 2016 की तुलना में दोगुना है।
यूपीआई आधारित डिजिटल पेमेंट में पेटीएम की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा है। इस साल अप्रैल में 19 करोड़ ट्रांजैक्शन में से 6.29 करोड़ यानी 33% ट्रांजैक्शन पेटीएम और 4.24 करोड़ यानी 22% यस बैंक के जरिए हुए।