New Delhi : MODI सरकार जल्द ही CHINA और PAK से आयात बंद कर सकती है। दरअसल NIA ने सिफारिश की है कि PAK और CHINA से क्रॉस बॉर्डर ट्रेड रोक दिया जाए।
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राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (NIA) ने गृह मंत्रालय से उरी और पुंछ से होने वाले क्रॉस बॉर्डर ट्रेड को बंद करने की सिफारिश की है। साल 2008 में पाकिस्तान से क्रॉस बॉर्डर ट्रेड शुरू हुआ था।
NIA ने अपनी 80 पेज की सिफारिश में कहा कि गृह मंत्रालय की ओर से क्रॉस बॉर्डर ट्रेड के लिए बनाई गई स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर का पालन नहीं किया गया। NIA ने गृह मंत्रालय को लिखा कि पिछले दिनों क्रॉस बॉर्डर ट्रेड के जरिए ही ज्यादातर टेरर फंडिंग हुई।
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लिहाजा इसको आगे चलाना ठीक नहीं है। ये भारत के हित में नहीं है। मालूम हो कि NIA ऑपरेशन हुर्रियत की जांच के साथ-साथ क्रॉस बॉर्डर ट्रेड से होने वाली टेरर फंडिंग की जांच कर रही है।
इससे पहले मेल टुडे ने अपनी रिपोर्ट में खुलासा किया था कि पाकिस्तान क्रॉस बॉर्डर ट्रेड के जरिए टेरर फंडिंग कर रहा है। इसमें बॉर्डर पर व्यापार करने वाले कारोबारी, हवाला कारोबारी से लेकर कई लोगों का नेटवर्क शामिल है। इसमें अमृतसर, श्रीनगर और पुरानी दिल्ली से व्यापारी भी शामिल हैं, जिनसे एनआईए पूछताछ भी कर चुकी है। ये लोग बॉर्डर ट्रेड के जरिए पत्थरबाजों और आतंकियों को मदद पहुंचाते हैं।
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इससे पहले केंद्र सरकार को सौंपी रिपोर्ट में NIA ने बताया था कि 2010-11 से लेकर 2015-16 के बीच क्रॉस-बॉर्डर ट्रेड से लगभग इन्होंने 500 करोड़ रुपये का फंड इक्कट्ठा किया। व्हिसल ब्लॉवर अपरेश गर्ग के मुताबिक यह आंकड़ा लगभग 800 करोड़ रुपये सालाना भी हो सकता है।
2009-10 में जब PoK की ओर से भारत के बाजार में लगातार सामान आता था, तो उन्होंने उस समय भी इस बात का अंदेशा जताया था, लेकिन तब इस पर ध्यान नहीं दिया गया था। पाकिस्तान के साथ नियंत्रण रेखा वस्तु विनिमय व्यापार साल 2008 में शुरू हुआ था।
NIA की मानें तो ISI ने पत्थरबाजों की फंडिंग के लिए पीओके में बाकायदा फंड मैनेजर तैनात किए हुए हैं। ये एजेंट सरहद पर सामान के आदान-प्रदान की फर्जी इन-वॉयसिंग का सहारा लेते हैं।
आयात और निर्यात के सामान की कीमत कम करके दिखाई जाती है और बाकी पैसे का बड़ा हिस्सा अलगाववादियों तक पहुंचाया जाता है। एनआईए की जांच में पता चला कि 2008 से 2016 के बीच उरी के रास्ते पाकिस्तान की ओर से कुल 2 हजार करोड़ रुपये का सामान निर्यात किया गया।
वहीं, भारत ने इस दौरान 1900 करोड़ का सामान उस पार भेजा। सूत्रों की मानें तो बाकी बचे 100 करोड़ घाटी में पत्थरबाजों और हथियाबंद आतंकियों की फंडिंग के लिए इस्तेमाल किये गए। इसी तरह 2008 से 2016 के बीच पुंछ के रास्ते भारत ने पाकिस्तान को कुल 650 करोड़ रुपये का सामान निर्यात किया।
बदले में पाकिस्तान से 2100 करोड़ रुपये का सामान भारत आया यानी कश्मीर की कुछ ट्रेडिंग कंपनियों की मदद से आईएसआई 1450 करोड़ रुपये दहशतगर्दों तक पहुंचाने में कामयाब रही।