New Delhi : चीन को एक बार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निराशा मिली है। भारत के खिलाफ ईरान से मदद मांगना चीन को भारी पड़ गया।दरअसल चीन भारत के खिलाफ मदद मांगने ईरान गया। ईरान में चीन की बात सुनकर वहां की सरकार ने मदद से इनकार कर दिया। ईरान ने भारत को अपना पुराना दोस्त बताया। चीन को अपना सा मुंह लेकर वहां से लौटना पड़ा है।अभी अभी: मुकेश अंबानी के घर में लगी भीषण आग, पूरे देश में मचा हड़कंप
वहीं पाकिस्तान के समाचार-पत्र ‘द न्यूज इंटरनेशनल’ के अनुसार, स्वतंत्र शोधकर्ता अयाज अहमद ने कहा, “इजरायल के साथ अपना सैन्य सहयोग मजबूत करने के भारत के अतिरिक्त प्रयासों से चीन और पाकिस्तान भी इस क्षेत्र में अपने आर्थिक व सुरक्षा सहयोग मजबूत करने पर जोर देंगे।”अहमद ने कहा, “भारत अन्य देशों के साथ जितना अधिक सैन्य सहयोग बढ़ाएगा, उतना ही दक्षिण एशिया में ‘भारत के विघटनकारी उद्देश्यों’ को रोकने के लिए चीन-पाकिस्तान की साझेदारी मजबूत होगी।” अहमद ने इस महीने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इजरायल यात्रा के मद्देनजर यह कहा।
अहमद ने साथ ही कहा कि इजरायल को गले लगाने के भारत के फैसले से भारत और ईरान के संबंधों में भी खटास आने की संभावना है।टिप्पणी में कहा गया, “अगर मोदी सरकार इजरायल के साथ अपने सैन्य संबंधों को और मजबूत करती रहेगी तो शायद ईरान सामरिक रूप से महत्वपूर्ण चाबहार बंदरगाह चीन को सौंप देगा और इस प्रकार ऊर्जा सम्पन्न मध्य एशिया तक पहुंचने का भारत का सपना टूट जाएगा।”
टिप्पणी के अनुसार, “पाकिस्तान को भारत-इजरायल की प्रगाढ़ता का लाभ उठाते हुए ईरान के साथ अपने रिश्ते को मजबूत करना चाहिए और कश्मीर व फिलीस्तीन में हो रहे मानवाधिकारों के उल्लंघन को उजागर करने के लिए ईरान के साथ समन्वय करना चाहिए।”