तालाब और नालों के पानी पर जमा शैवाल (काई) आपने देखा ही होगा। जमीन पर जमी काई पर आप फिसले ही होंगे लेकिन उसी काई की पॉवर से अब गाड़ियां दौड़ेंगी।

जी हां, काई से बनने वाला बायोडीजल बाइक, कार और मोटर व्हीकल में ईंधन का काम करेगा। बाबा साहब भीमराव अंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय (बीबीएयू) के शोध छात्र रजंन सिंह ने शैवाल (काई) से बायोडीजल बनाने में सफलता हासिल की है।
छात्र रंजन सिंह बताते हैं कि पर्यावरण प्रदूषण एक विकराल समस्या बन चुका है। इस दिशा में हर स्तर पर प्रयास किए जा रहे, मगर सार्थक परिणाम आने भी जरूरी थे।
इसी मकसद से उन्होंने प्रदूषित जल में पाए जाने वाले कार्बनिक व अकार्बनिक तत्व पर काम किया। जिसमें यह बात सामने आई कि तालाब व नालों के किनारे पैदा होने वाली काई हानिकारक अकार्बनिक और कार्बनिक तत्वों को भोजन के रूप में अवशोषित करती है।
भोजन के रूप में अकार्बनिक और कार्बनिक तत्वों से शैवाल का जैवभार बायोमास में बढ़ जाता है। इसमें लगभग दस से 15 दिन का समय लगता है।
इस अवधि के बाद शैवाल को निकाल कर ट्रांस एस्टीरिफिकेशन प्रोसेस से गुजारना होता है। प्रक्रिया के तहत कुछ केमिकल भी प्रयोग किए जाते हैं। जिसके बाद वह बायोडीजल में परिवर्तित हो जाता है।
रंजन कहते हैं कि यह बायोडीजल पर्यावरण के अनुकूल है। जिसका इस्तेमाल कार, बाइक आदि मोटर व्हीकल में किया जा सकता है। सबसे बड़ी बात है यह है कि इस पूरी प्रक्रिया में कोई खर्च नहीं है।
रंजन का यह शोध बायो रिसोर्स टेक्नोलाजी जनरल में हाल में ही प्रकाशित हो चुका है। इसके अलावा इसी शोध के बाद रंजन को साउथ चाइना एग्रीकल्चर विश्वविद्यालय में पोस्ट डॉक्टरल रिसर्च के लिए ऑफर मिला है।
Live Halchal Latest News, Updated News, Hindi News Portal