जम्मू कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा खत्म करने और अनुच्छेद 370 के कुछ प्रावधानों को हटाए जाने के बाद केंद्र सरकार राज्य में वर्षों से बंद पड़े मंदिरों के कपाट फिर से खोलने की तैयारी कर रही है। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने सोमवार को यहां मीडिया से बातचीत में कहा कि कश्मीर घाटी में पिछले कई वर्षों से करीब 50 हजार मंदिरों के कपाट बंद पड़े हैं।
इन मंदिरों में से कुछ का ढांचा भी तोड़ दिया गया था और मूर्तियों को भी नुकसान पहुंचाया गया था। केंद्र सरकार कश्मीर घाटी में ऐसे मंदिरों का जल्दी ही सवेर्क्षण करवाने जा रही है और जल्द ही इनको फिर से खोलने पर काम शुरु किया जायेगा।
रेड्डी ने बताया कि कश्मीर में बंद पड़े विद्यालयों को फिर से खोले जाने पर भी काम शुरु किया जायेगा। घाटी में बंद पड़े स्कूलों की सही जानकारी के लिए सर्वेक्षण कराया जा रहा है। सर्वेक्षण के लिए समिति गठित की गई है। समिति की रिपोर्ट के बाद स्कूलों को फिर से खोलने के लिए कदम उठाये जायेंगे।
रेड्डी ने बताया कि दशकों तक घाटी में आतंकवाद की वजह से हजारों की संख्या में पंडितों को पलायन के लिए मजबूर होना पड़ा था। आतंकवादियों ने बड़ी संख्या में कश्मीरी पंडितों की हत्याएं भी की थी। इस दौरान वहां के कई प्रसिद्ध मंदिरों समेत हजारों मंदिरों के ढांचे और मूर्तियों को नुकसान पहुंचाया गया था।
उन्होंने कहा केंद्र सरकार जम्मू कश्मीर में आतंकवाद के खात्मे के लिए प्रतिबद्ध है। आतंकवाद का सफाया करने के लिए अभियान भी जारी है। सरकार घाटी से नफरत की भावना को जड़ से खत्म करके ही शांत बैठेगी।
90 के दशक में जम्मू कश्मीर में आतंकवाद का दौर शुरु होने के बाद वहां रहने वाले कश्मीरी पंडितों को पलायन करना पड़ा था। कश्मीरी पंडितों को मारने के अलावा आतंकवादियों ने मंदिरों को भी नुकसान पहुंचाया था। बंद पड़े मंदिरों में कई मशहूर हैं।