एमडीडीए ने रिस्पना नदी किनारे काठबंगला बस्ती में अवैध कब्जों पर कार्रवाई कर जेसीबी से 26 मकान ध्वस्त कर दिए। पाई-पाई जोड़कर नदी किनारे सरकारी जमीन पर आशियाने बना तो दिए, लेकिन जब कार्रवाई के दौरान घर गिरने लगे तो ऐसा लगा मानो उनके घर नहीं, बल्कि खुली आंखों के सामने उनके सपने टूट रहे हों।
इस दौरान बस्ती छावनी में तब्दील रही। भारी पुलिस बल के चलते विभिन्न संगठनों और लोगों का विरोध कार्रवाई को नहीं रोक पाया। करीब पांच घंटे तक चली कार्रवाई के दौरान रोते-बिलखते और गुस्से का इजहार करते लोग कभी एमडीडीए तो कभी सरकार पर सवाल उठाते रहे। अधिकारी जांच के आधार पर तैयार की गई सूची का हवाला देते रहे तो लोग कार्रवाई में भेदभाव का आरोप लगाते रहे।
पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार सोमवार को एमडीडीए के अधिकारी सुबह करीब 10 बजे आधा दर्जन जेसीबी और बड़ी संख्या में पुलिस और पीएसी के जवानों के साथ लेकर कैनाल रोड पर रिस्पना नदी किनारे स्थित काठबंगला बस्ती पहुंचे।
जैसे ही ऊबड़-खाबड़ रास्तों पर धूल उड़ाती हुई एक के बाद एक जेसीबी पहुंची तो लोग दहशत में आ गए। विभिन्न राजनीतिक संगठन के कार्यकर्ता और बस्ती के लोग जेसीबी के सामने खड़े हो गए।
इन्होंने लोगों के पास मौजूद भवनाें के वैध होने के कागजात देखने और समय दिए जाने की मांग की, लेकिन अधिकारियों ने कहा कि जांच के बाद ही सूची तैयार की गई है। इसलिए अब कोई समय नहीं दिया जाएगा।
इसके बाद पुलिस फोर्स ने मोर्चा संभाला और जेसीबी ने अपना काम शुरू कर दिया। एक-एक कर शाम तीन बजे तक 26 मकानों को ध्वस्त कर दिया गया। इस दौरान हर तरफ रोते-बिलखते बेघर हुए लोग कभी आक्रोश दिखाते तो कभी गुहार लगाते दिखे। बताया जा रहा है कि अभी 100 से अधिक मकानों पर कार्रवाई बाकी है।
एमडीडीए उपाध्यक्ष बंशीधर तिवारी ने बताया कि अधिकारियों को अवैध भवनों को ही ध्वस्त करने के निर्देश दिए गए हैं। कार्रवाई पूरी होने तक अभियान अगले दो-तीन दिन जारी रहेगा।