अटल बिहारी वाजपेयी संसदीय मर्यादा का करते थे सम्मान: सोनिया गांधी

अटल बिहारी वाजपेयी संसदीय मर्यादा का करते थे सम्मान: सोनिया गांधी

संसद के बजट सत्र में बीते पांच दिनों से गतिरोध जारी है. पीएनबी घोटाले पर हंगामे की वजह से एक भी दिन सदन की कार्यवाही नहीं चल पाई है. सरकार इसके लिए विपक्ष को जिम्मेदार ठहरा रही है लेकिन कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि विपक्ष को संसद में बोलने का मौका ही नहीं दिया जा रहा. उन्होंने कहा कि कई जरूरी मुद्दों को कांग्रेस पार्टी सदन में उठाना चाहती है लेकिन संसद में हमें अपनी आवाज उठाने का मौका नहीं मिल रहा है.अटल बिहारी वाजपेयी संसदीय मर्यादा का करते थे सम्मान: सोनिया गांधी

मुंबई में आयोजित इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में सोनिया गांधी ने कहा, ‘हमें संसद में बोलने नहीं दिया जा रहा. संसद में अहम मुद्दों पर चर्चा से सरकार भाग रही है. वर्तमान में संसदीय परंपराओं का पालन नहीं हो रहा और इसीलिए हम नारेबाजी कर अपने मुद्दों को सदन में उठा रहे हैं.’

यूपीए की चेयरपर्सन सोनिया गांधी ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी संसदीय परंपराओं का पालन करते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं हो रहा है. उन्होंने कहा कि सरकार जिस तरह से सदन को चलाना चाहती है वह मुमकिन नहीं है. सोनिया ने कहा कि संसद बहस और चर्चा के लिए है. अगर वहां बहस नहीं होगी तो उसे बंद कर देना चाहिए.

‘सरकार से बातचीत संभव नहीं’

सोनिया ने कहा कि ज्यादातर लोग संसद न चल पाने के लिए कांग्रेस पार्टी को जिम्मेदार मानते होंगे क्योंकि हमारे सांसद सदन में नारेबाजी करते हैं. लेकिन इसकी पीछे गंभीर कारण है क्योंकि संसदीय परंपराओं का पालन नहीं किया जा रहा है. 

सोनिया से जब पूछा गया कि क्या बातचीत के जरिए सदन को सुचारू ढंग से चलाने का रास्ता नहीं खोजा जा सकता तो उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार के साथ ये मुमकिन नहीं है क्योंकि इस सरकार के पास वो जज्बा ही नहीं है. वाजपेयी जी की सरकार में बातचीत के जरिए गतिरोध को दूर किया जाता था.

‘मोदी को नहीं जानती’

सोनिया ने कहा सदन में अपनी बात रखना विपक्ष का अधिकार है और स्पीकर को भी दोनों पक्षों की बात बराबर सुननी चाहिए. जब सोनिया से पूछा गया नरेंद्र मोदी के बारे में आप क्या कहना चाहती हैं तो उन्होंने कहा ‘मैंने सारी रामायण पढ़ ली और आप सीता-राम के बारे में पूछ रहे हैं.’ सोनिया ने जवाब दिया, ‘मैं मोदी को नहीं जानती. बतौर प्रधानमंत्री उन्हें संसद में अथवा देश और दुनिया में अलग-अलग कार्यक्रमों में जरूर देखती हूं. लेकिन निजी तौर पर मैं उन्हें नहीं जानती.’

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