अगस्ता वेस्टलैंड केस के बिचौलिया राजीव सक्सेना की 385.44 करोड़ रुपये की संपत्ति को ईडी ने अपने कब्जे मे लिया

वीवीआईपी अगस्ता वेस्टलैंड केस के बिचौलिया राजीव सक्सेना पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बड़ी कार्रवाई की है. दरअसल, ईडी ने राजीव सक्सेना की धनशोधन से जुड़े मामलों में पांच स्विस बैंक खातों सहित 300 करोड़ से ज्‍यादा की संपत्ति कुर्क कर ली है. ईडी ने कहा कि कुर्क की गई संपत्ति का मूल्य 385.44 करोड़ रुपये है.

ईडी ने एक बयान में कहा, ‘‘कुर्क संपत्तियों में पाम जुमीराह, दुबई स्थित एक विला (जिसका मूल्य दो करोड़ अरब अमीरात दिरहम है) और 4.555 करोड़ डॉलर के पांच स्विस बैंक खाते शामिल हैं.’’

ईडी की यह कुर्की दो मामलों से जुड़ी है. पहला मामला 3,600 करोड़ रुपये के वीवीआईपी हेलीकॉप्टर घोटाले का है जबकि दूसरा मामला मोजर बेयर बैंक धोखाधड़ी मामले से संबंधित है.

अगस्ता वेस्टलैंड केस में राजीव सक्सेना को पिछले साल जनवरी में संयुक्त अरब अमीरात से लाया गया था और फिर उसे प्रवर्तन निदेशालय ने गिरफ्तार कर लिया था. वर्तमान में वह जमानत पर है. आपको यहां बता दें कि राजीव सक्सेना और उनकी पत्नी शिवानी अगस्ता वेस्टलैंड केस में आरोपी हैं.

दोनों दुबई की कंपनी UHY Saxena and Matrix Holdings के निदेशक हैं. प्रवासी भारतीय राजीव सक्सेना मॉरीशस की एक कंपनी इंटरसेलर टेक्नोलॉजिज लिमिटेड के निदेशक और शेयरहोल्डर हैं. आरोप है कि इस कंपनी का चॉपर डील में लांड्रिंग करने में इस्तेमाल किया गया.

राजीव सक्सेना के तार मोजर बेयर के बैंक फ्रॉड से भी जुड़े हैं. किसी जमाने में प्रमुख ऑप्टिकल डिस्क निर्माता कंपनी रही मोजरबियर अब दिवालिया हो चुकी है.

इस बैंक फ्रॉड के आरोपियों में कंपनी के प्रमोटर, कारोबारी रतुल पुरी और उसके पिता दीपक पुरी शामिल हैं. मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के भांजे रतुल पुरी भी वीवीआईपी हेलीकॉप्टर मामले में आरोपी हैं.

आपको बता दें कि 1983 में दीपक पुरी की अगुवाई में दिल्‍ली से शुरुआत करने वाली मोजर बेयर इंडिया लिमिटेड कुछ ही साल में विश्व की दूसरी सबसे बड़ी सीडी और डीवीडी के उत्पादन करने वाली कंपनी बन गई थी. 1993 में दीपक पुरी के बेटे रतुल पुरी ने मोर्चा संभाला.

एक समय कंपनी में 11 हजार स्थायी और चार हजार अस्थायी कर्मचारी थे. लेकिन धीरे-धीरे कंपनी की स्थिति बिगड़ती चली गई. रातो-रात कंपनी के हजारों कर्मचारी बेरोजगार हो गए.

2018 में नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) ने मोजर बेयर को दिवालिया घोषित कर दिया था. इस कंपनी पर तब करीब 4 हजार 356 करोड़ रुपये का कर्ज था.

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