बीआरएस अध्यक्ष और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने भाजपा पर तीखा हमला करते हुए कहा कि देश में जिस तरह धार्मिक और जातिगत कट्टरता और विभाजन को बढ़ावा दिया जा रहा है, वह दिन दूर नहीं जब हमारे देश में अफगानिस्तान जैसी स्थिति पैदा हो जाएगी। केसीआर ने कहा कि ऐसी नीतियों का पालन जारी रहा तो नरक जैसा माहौल पैदा हो जाएगा। यह अफगानिस्तान की तरह तालिबान जैसी भयावह स्थिति को पैदा करेगा। इसलिए युवाओं को सतर्क रहना जरूरी है।
पीटीआई के मुताबिक, केसीआर ने गुरुवार को महबूबाबाद और कोठागुडेम में जनसभा को संबोधित करते हुए कहा, “यदि धार्मिक और जातिवादी कट्टरता को बढ़ावा दिया जाता है, लोगों को विभाजित किया जाता है, ऐसी नीतियों का पालन किया जाता है, तो यह नरक जैसा हो जाएगा। यह अफगानिस्तान की तरह तालिबान जैसा मामला बन जाएगा और एक भयानक स्थिति को जन्म देगा। इस घृणा के कारण ऐसे हालात पैदा होंगे जिनमें देश की जीवन रेखा ही जल जाएगी। इसलिए खासकर युवाओं को सतर्क रहना चाहिए।
तालिबान बनने में देरी नहीं लगेगी
केसीआर ने कहा, “अगर देश में इस तरह की गड़बड़ी होती है, अगर हम तालिबान की तरह बन जाएंगे, तो क्या निवेश आएगा? क्या नौकरियां होंगी? क्या मौजूदा उद्योग बने रहेंगे? अशांति होगी और कर्फ्यू, लाठीचार्ज और फायरिंग का माहौल होगा तो समाज कैसा होगा?” आप सब देख रहे हैं कि आज क्या हो रहा है, देश को गलत रास्ते पर ले जाने की कितनी नापाक कोशिशें हो रही हैं।’
केंद्र पर लगाए आरोप
उन्होंने कहा कि देश और राज्य तभी प्रगति कर सकते हैं जब केंद्र में प्रगतिशील सोच वाली और “निष्पक्ष” सरकार हो। उन्होंने भविष्य की राजनीति में पूरे देश को आगे बढ़ने का रास्ता दिखाते हुए तेलंगाना का पक्ष लिया। उन्होंने आरोप लगाया कि तेलंगाना का सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) नहीं बढ़ा, क्योंकि केंद्र की मौजूदा सरकार राज्य सरकार के बराबर प्रदर्शन करने में विफल रही। राव ने कहा कि तेलंगाना का जीएसडीपी 2014 में राज्य गठन के समय 5 लाख करोड़ रुपये था और आज बढ़कर 11.5 लाख करोड़ रुपये हो गया।
तेलंगाना को तीन लाख करोड़ का नुकसान
उन्होंने कहा, “केंद्र की अक्षम नीतियों के कारण अकेले तेलंगाना को 3 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।” उन्होंने दावा किया कि ये आंकड़े अर्थशास्त्रियों, आरबीआई और कैग ने दिए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि जीएसडीपी 14.50 लाख करोड़ रुपये होना चाहिए था, लेकिन केंद्र की नीतियों के कारण यह 11.50 लाख करोड़ रुपये रहा।