वर्तमान की बात करें तो व्यक्ति अव्यवस्थित दिनचर्या, तनाव, ख़राब आहार, पर्यावरण प्रदूषण तथा अन्य वजहों के कारण रफ़्तार से हृदय रोग की चपेट में आ रहे हैं। पहले बुढ़ापे में होने वाली हृदय से संबंधित दिक्कतें अब कम उम्र के व्यक्तियों को भी अपने चपेट में ले रही हैं। वही दिल के रोगों से बचने के लिए शरीर में कैलोरी, वसा, कोलेस्ट्रॉल तथा सोडियम की मात्रा को तय करना बहुत आवश्यक है। जिसके लिए घी, मक्खन तथा तली-भुनी चीज़ों का सेवन कम से कम करना चाहिए। साथ-साथ हल्के-फुल्के एक्सरसाइज के साथ प्रातः-शाम टहलने की आदत को भी अपनी दिनचर्या में सम्मिलित करें।

वही कोलेस्ट्रॉल एक केमिकल कंपाउंड है, जो हमारे लीवर में होता है तथा हमारी बॉडी में नई कोशिकाओं व हार्मोंस को व्यवस्थित करने में मददगार होता है। हमारी बॉडी को जब भी कोलेस्ट्रॉल की आवश्यकता होती है, तो लीवर इसे निकाल देता है तथा बॉडी अपनी जरुरत को पूरा कर लेता है, परन्तु जो भी अतिरिक्त कोलेस्ट्रॉल हमारी बॉडी में जमा होता है, वह बॉडी के लिए हानिकारक कोलेस्ट्रॉल बन जाता है।
साथ ही ब्लडप्रेशर का बढ़ना अथवा घटना दोनों ही हमारी बॉडी के लिए हानिकारक हैं। रक्तचाप के उच्च हो जाने से हृदय को हानि पहुँचती है। यह धड़कन को बढ़ा देता है, जिसकी वजह से दिल सही ढंग से काम नहीं कर पाता है। स्वस्थ हार्ट के लिए ब्लड प्रेशर पर कंट्रोल बहुत जरुरी है। निरंतर चलने वाली रिसर्च से यह ज्ञात होता है कि अधिक तनाव या डिप्रेशन भी दिल के लिए नुकसानदायक हो सकता है। तनाव हृदय बीमारियों के लिए एक बड़ी वजह है। तनावमुक्त रहने से हृदय बीमारियों का करीबन आधा संकट टल जाता है। इसी के साथ उचित ध्यान दिया जाना बहुत आवश्यक है।
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