इन दिनों करियर बनाने और सफल होने की चाहत में कई लोग देर से शादी या फिर बच्चे की प्लानिंग करने लगे हैं। ऐसे में बढ़ती उम्र खासकर 40 साल के बाद महिलाओं को गर्भधारण करने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। अगर आप भी 40 साल की उम्र के बाद कंसीव करने में दिक्कतों का सामना कर रही हैं तो ये आर्टिकल आपके काम आ सकता है।
बीते कुछ समय से लोगों की सोच और जीने का तरीका काफी बदल चुका है। पहले जहां लोग कम उम्र में ही शादी और बच्चे की प्लानिंग करते थे, तो वहीं अब करियर और अन्य वजहों से लोग खासकर लड़किया देर से शादी कर रही हैं। इसके अलावा कुछ लोग शादी के बाद बच्चे की प्लानिंग भी काफी देर से कर रहे हैं। इन दिनों ज्यादातर महिलाएं 40 वर्ष की आयु के बाद गर्भवती होने का विकल्प चुन रही हैं। हालांकि, बढ़ती में गर्भधारण करना कई बार चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
अगर आप भी 40 साल या उसके आसपास की उम्र में प्रेग्नेंसी की प्लानिंग कर रही हैं, तो आज इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि आखिर 40 साल की उम्र में गर्भधारण करना इतना मुश्किल क्यों हैं? साथ ही बात करें उन तरीकों के बारे में जिसकी मदद से आप अपनी फर्टिलिटी को हेल्दी रख सकते हैं।
40 के बाद क्यों मुश्किल है गर्भधारण करना
40 वर्ष की आयु के बाद सुरक्षित गर्भधारण करना संभव है, लेकिन इसके लिए उन जैविक कारकों को समझना जरूरी है, जो इसमें कठिनाई की वजह बन सकते हैं। इनमें हार्मोनल असंतुलन, अनियमित पीरियड साइकिल, अंडे की मात्रा और गुणवत्ता में गिरावट आदि शामिल हैं। सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन (सीडीसी) के अनुसार, 40 से 44 वर्ष की आयु के बीच की 30% महिलाएं बांझपन का अनुभव करती हैं। इसकी निम्न वजह हो सकती हैं-
प्रजनन क्षमता में गिरावट
जैसे-जैसे महिलाएं बड़ी होती जाती हैं, उनकी प्रजनन क्षमता स्वाभाविक रूप से कम होने लगती है। यह फर्टाइल एग्स की संख्या में कमी के कारण होता है। दरअसल, जन्म से ही महिलाओं में सीमित मात्रा में अंडे हैं। जैसे-जैसे वे मेनोपॉज के करीब आती हैं, अंडों की संख्या काफी कम हो जाती है, जिससे उनके लिए गर्भधारण करना कठिन हो जाता है।
ओवेरियन रिजर्व का सिकुड़ना
40 वर्ष की आयु के बाद प्रजनन क्षमता कम होने की एक वजह ओवेरियन रिजर्व का सिकुड़ना भी है। यहां ओवेरियन रिजर्व का मतलब एक महिला के अंडाशय में मौजूद कम अंडों से हैं। चूंकि एक महिला के जन्म के समय उनमें मौजूद अंडे सीमित संख्या में होते हैं, जिसकी उम्र के साथ उनकी मात्रा और गुणवत्ता कम हो जाती है। ऐसे में 40 साल की आयु तक महिलाओं में बचे अंडों में क्रोमोसोमल डिफेक्ट होने की संभावना ज्यादा होती है।
क्रोमोसोमल असामान्यताएं
जैसे-जैसे महिलाओं की उम्र बढ़ती है, अंडों में क्रोमोसोमल डिफेक्ट होने की संभावना बढ़ने लगती है। क्रोमोसोमल डिफेक्ट की वजह से डाउन सिंड्रो जैसी समस्या हो सकती है। गर्भवती होने और डाउन सिंड्रोम या किसी अन्य क्रोमोसोमल डिफेक्ट वाले बच्चे को जन्म देने की संभावना 35 साल की उम्र के बाद बढ़ जाती है और समय के साथ बढ़ती रहती है। यह भी 40 की उम्र के बाद गर्भधारण करने की चुनौतियों में से एक है।
हेल्दी फर्टिलिटी बनाएं रखने के लिए अपनाएं ये टिप्स
- तनाव को मैनेज
बहुत अधिक तनाव प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकता है। ऐसे में तनाव कम करने के तरीकों को खोजने से आपको ऐसा माहौल मिलेगा, जिससे गर्भधारण करने में आसानी होगी। आप स्ट्रेस मैनेज करने के लिए माइंडफुलनेस एक्सरसाइज, नियमित व्यायाम, अपनी शौक की चीजें और प्रियजनों से मदद मांग सकते हैं।
- एआरटी की मदद लें
40 वर्ष की आयु के बाद अगर आपको कंसीव करने में दिक्कत हो रही हैं, तो आप एआरटी (assisted reproductive technologies), जैसे इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) की मदद ले सकते हैं। इस तकनीक की मदद से अंडे को शरीर के बाहर फर्टिलाइज कर भ्रूण को गर्भाशय में डाला जाता है। इससे उम्र संबंधी प्रजनन क्षमता में कमी के कारण होने वाली समस्याओं से बचा जा सकता है।
- प्रोफेशनल असिस्टेंस लें
महिलाओं को अपने प्रजनन स्वास्थ्य को प्राथमिकता देते हुए अपने प्रजनन विकल्पों पर सावधानीपूर्वक विचार करना चाहिए। साथ ही विशेषज्ञों से परामर्श लेने से भी फायदा मिल सकता है।