आगामी लोक सभा चुनाव के पहले सियासी माहौल गरमा गया है. सभी राजनीतिक पार्टियों ने अपनी कमर कस ली है. हाल में ही सपा-बासप गठबंधन के बाद यूपी में भाजपा के लिए एक बड़ी परेशानियो का दौर शुरू हो गया है. इस बीच कांग्रेस ने भी तीन राज्यों में जीत के बाद अब यूपी में आगमी लोक सभा में जीत हासिल करने के लिए अपनी बहन प्रियंका पर दांव लगाया है. इस बीच एक बड़ी खबर ने सियासत को गरमा दिया है. बताते चले बुआ बबुआ की दोस्ती पर पिता मुलायम ने बड़ा बयान दिया है. जिससे बेटे अखिलेश यादव के लिए झटका साबित हो सकता है. बताते चले मुलायम ने यूपी में सपा-बसपा गठबंधन पर करार हमला हमला बोला है और इस बात पर आपत्ति जाहिर की है कि अखिलेश यादव इस गठबंधन में आधी सीटों पर राजी हो गए. मुलायम कुछ दिन पहले भी लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जीत और सत्ता में वापसी की कामना कर चुके हैं.
मुलायम ने कहा
आखिर कैसे अखिलेश यादव बहुजन समाज पार्टी के साथ ऐसे गठबंधन के लिए राजी हो गए जिसमें सपा पार्टी के हिस्से में आधी सीटें आई हैं. मुलायम ने तो ये तक कहा कि पार्टी के लोग ही पार्टी को खत्म करने में जुटे हैं. महिलाओं को पार्टी में तरजीह नहीं मिल रही. हमने इतनी बड़ी पार्टी बनाई, लेकिन पार्टी को अब कमजोर किया जा रहा है. मुलायम ने कहा कि सूबे की 80 लोकसभा सीटों में से सिर्फ 25-26 सीटें ही जीत सकते हैं.
गौरतलब है कि कुछ महीने बाद होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने गठबंधन किया है. इस गठबंधन के तहत अखिलेश यादव और मायावती कुल 80 सीटों में से 38-38 सीटों पर चुनाव लड़ने पर सहमत हुए हैं. यूपी की राजनीति के इन दो धुर विरोधियों का एक साथ आना प्रदेश की राजनीति के पुरोधा मुलायम को रास नहीं आ रहा है.
सपा-बसपा गठबंधन पर मुलायम ने तोडी चुप्पी
ये पहली बार है जब मुलायम सिंह यादव ने सपा-बसपा गठबंधन पर अपनी चुप्पी तोड़ी है. मुलायम को आपत्ति इस बात पर है कि उनके बेटे अखिलेश यादव ने चुनाव से पहले ही आधी से ज्यादा सीटों पर अपनी दावेदारी आखिर कैसे छोड़ दी. यूपी से इस समय सपा के सात सांसद हैं जबकि बहुजन समाज पार्टी का एक भी सांसद नहीं है. मुलायम ने सपा-बसपा गठबंधन पर सवाल उठाकर एक तरह से अपने छोटे भाई और अखिलेश के विरोधी शिवपाल यादव के सुर में सुर मिलाया है जिन्होंने अलग पार्टी बनाकर सपा के खिलाफ बिगुल फूंका हुआ है.
बता दें कि 2017 के विधानसभा चुनाव में भी जब अखिलेश यादव ने कांग्रेस के साथ गठबंधन किया था तब भी मुलायम सिंह ने सवाल एतराज जाहिर किया था. इतना ही नहीं वो शिवपाल यादव और पारसनाथ यादव की सीट को छोड़कर किसी भी अन्य सीट पर प्रचार करने नहीं गए थे.