कृषि कानून के खिलाफ जारी आंदोलन के समर्थन में आत्महत्या करने वाले संत बाबा राम सिंह का अंतिम संस्कार शुक्रवार को होगा. इससे पहले करनाल के सिंगड़ा में उनके अंतिम दर्शन करने के लिए लोग पहुंच रहे हैं. गुरुवार सुबह अकाली दल नेता सुखबीर बादल भी बाबा राम सिंह के गुरुद्वारे पहुंचे.

संत बाबा राम सिंह का पोस्टमार्टम पहले ही हो चुका है. इस बीच किसान आंदोलन में शामिल हुए लोग भी करनाल पहुंचने लगे हैं. सिंघु बॉर्डर पर धरना देने वाले और सरकार के साथ चर्चा में शामिल गुरनाम सिंह गुरुवार को करनाल के गुरुद्वारा पहुंचे.
गुरुनाम सिंह का कहना है कि बाबा से हमारी मुलाकात एक दिन पहले धरनास्थल पर हुई थी. उन्होंने बातचीत में कहा था कि किसानों के ऐसे बैठे रहने से वो बहुत दुखी हैं, ये कसाई सरकार है, अब तो परमात्मा भी संदेश दे रहा है. कल बाबा जी ने कुर्बानी दी दी है.
सिंगड़ा के इसी गुरुद्वारे में सेवादार रहे महल सिंह भी मुंबई से यहां पहुंचे हैं. महल सिंह के मुताबिक, बाबा राम सिंह जब 21 दिन के थे तो इनके मां-बाप ने गुरुद्वारे में ही उनका दान दे दिया था. उन्होंने सत्संग के जरिए पूरे समाज की सेवा की. महल सिंह के मुताबिक, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया समेत अन्य देशों में उनके अनुयायी थे वहां पर वो सत्संग के लिए जाते थे.

किसान आंदोलन में बाबा राम सिंह ने अपनी ओर से पांच लाख रुपये दिए थे, साथ ही कंबल भी बांटे थे. जब महल सिंह से बाबा के पास लाइसेंसी बंदूक के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं है. महल सिंह ने मौत की साजिश के सवाल पर कहा कि ऐसा कुछ नहीं है, ये एक कुर्बानी है.
उन्होंने अपनी चिट्ठी में पीड़ा बता दी है. महल सिंह के मुताबिक, 18 दिसंबर को अंतिम संस्कार के बाद 25 दिसंबर को अरदास होनी है. शुक्रवार सुबह 11:00 बजे सिंगड़ा के गुरुद्वारा नानकसर में पार्थिव शरीर को रखा जाएगा, ताकि उनके भक्त अंतिम दर्शन कर सकें.
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