नियमितीकरण की मांग को लेकर अतिथि विद्वानों का धरना जारी है। वे पिछले 84 दिन से राजधानी के शाहजहांनी पार्क में धरना दे रहे हैं। सोमवार को एक महिला अतिथि विद्वान और एक पुरुष अतिथि विद्वान ने मुंडन कराया। इस दौरान सरकार के विरोध में नारेबाजी भी की गई। इसके पहले 19 फरवरी को भी एक महिला अतिथि विद्वान शाहीन खान ने मुंडन कराया था। अतिथि विद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष डॉ. देवराज सिंह ने बताया कि धरना देते हुए तीन महीने हो चुके हैं, लेकिन सरकार ने अब तक अतिथि विद्वानों की मांगें मानना तो दूर ठीक से सुना तक नहीं है। देवराज सिंह ने बताया कि सरकार के विरोध में बड़वानी के मेघनगर सरकारी कॉलेज में पदस्थ अतिथि विद्वान लाक्सारी दास मुंडन कराने बैठी थीं, लेकिन उससे पहले मैंने मुंडन कराया। इसी तरह अब 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर महिला अतिथि विद्वानों ने सामूहिक मुंडन कराने का निर्णय लिया है। डॉ. सिंह के मुताबिक सरकार ने वचन दिया था कि सरकार में आने पर अतिथि विद्वानों को नियमित कर दिया जाएगा। लेकिन नियमित करना तो दूर उल्टा सरकार बनने के बाद सरकारी कॉलेजों में पदस्थ करीब ढाई हजार अतिथि विद्वानों को निकाल दिया गया।
फिर आठ महीने तक मानदेय नहीं दिया गया। इसके बाद जब आंदोलन किया गया तो मानदेय तो जारी किया, लेकिन सिर्फ तीन महीने का इसे लेकर अतिथि विद्वानों की तनाव से मौत तक हो गई। साथ ही एक अतिथि विद्वान ने खुदकशी कर ली। इसके बावजूद सरकार अतिथि विद्वानों की जायज मांगें मानने को तैयार नहीं है। इस मामले में उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी का कहना है कि एक-एक अतिथि विद्वान को फिर से नियुक्ति दी जाएगी। 1200 पद निर्मित किए जा रहे हैं। किसी को चिंता करने की जरूरत नहीं है। अतिथि विद्वानों के नियमितीकरण का मामला कर्मचारी आयोग देख रहा है। सरकार में आते ही सब एक साथ करना संभव नहीं है। किसी को भी विरोध करने का अधिकार है। कांग्रेस सरकार की कार्यप्रणाली भाजपा सरकार की तरह नहीं जो डंडे मारकर धरना समाप्त करा दे।