होलिका दहन के लिए उत्तराखंड पूरी तरह तैयार है। आज विधिवत पूजन के बाद शाम 6.12 बजे होलिका दहन किया जाना है। इसके बाद कल हर्षोल्लास के साथ रंगों का पर्व होली मनाया जाएगा। दून के बाजारों में भी होली की रौनक खूब दिख रही है। पर्व के लिए खरीदारी को बड़ी संख्या में लोग बाजारों में उमड़ रहे हैं।
होली पूजन का मुहूर्त
आज हालिका दहन है और दून के अधिकांश चौराहों और मैदानों में तैयारियां पूरी हो गई हैं। विशेष पूजन के साथ शाम को मुहूर्त के अनुसार होलिका दहन होगा। आचार्य वीपी ममगाईं के अनुसार, दोपहर 1.30 बजे तक भद्रा की छाया रहेगी। इस काल में होली पूजन करना शुभ नहीं माना जाता। 1.30 बजे के बाद होली पूजन किया जा सकता है। इसके बाद होलिका दहन का मुहूर्त शाम 6.12 बजे के बाद है, जो देर रात तक रहेगा।
ऐसे करें होली पूजन
होलिका दहन से पहले होली का पूजन किया जाता है। पूजन सामग्री में एक लोटा गंगाजल यदि उपलब्ध न हो तो ताजा जल भी लिया जा सकता है। रोली, माला, रंगीन अक्षत, धूप या अगरबत्ती, पुष्प, गुड़, कच्चे सूत का धागा, साबुत हल्दी, मूंग, बताशे, नारियल एवं नई फसल के अनाज गेंहू की बालियां, पके चने आदि शामिल करें। पूजा सामग्री के साथ होलिका के पास गोबर से बनी ढाल भी रखी जाती है।
होलिका दहन के शुभ मुहूर्त पर चार मालाएं अलग से रख लें। जो मौली, फूल, गुलाल, ढाल और खिलौनों से बनाई जाती हैं। इसमें एक माला पितरों के नाम की, दूसरी हनुमान जी के लिए, तीसरी शीतला माता और चौथी परिवार के नाम की रखी जाती है। पूरी श्रद्धा से होली के चारों और परिक्रमा करते हुए कच्चे सूत के धागे को लपेटा जाता है।
होलिका की परिक्रमा तीन या सात बार करें। इसके बाद शुद्ध जल सहित अन्य पूजा सामग्रियों को एक-एक कर होलिका को अर्पित किया जाता है। पंचोपचार विधि से होली का पूजन कर जल से अर्घ्य दिया जाता है। होलिका दहन के बाद होलिका में कच्चे आम, नारियल, सतनाज, चीनी के खिलौने, नई फसल इत्यादि की आहुति दी जाती है। सतनाज में गेहूं, उड़द, मूंग, चना, चावल जौ और मसूर मिश्रित करके इसकी आहुति दी जाती है।
होलिका दहन का मुहूर्त
– होलिका दहन मुहूर्त: 06.12 से 8.52 बजे शाम।
– भद्रा पूंछ: 09.37 से 10.38 बजे सुबह
– भद्रा मुख: 10.38 से 12.19 बजे दोपहर
– पूर्णिमा तिथि आरंभ: 03.03 बजे दोपहर बाद।
– पूर्णिमा तिथि समाप्त: 11.17 बजे रात।
– होली: 10 मार्च।