बिटिया के भाई और आरोपी पक्ष के फोन कॉल की सीडीआर वायरल हो रही है। सूत्रों की मानें तो पुलिस भी इसे खंगालने में जुटी है और इससे यह केस दूसरा रूप भी ले सकता है, हालांकि इस पर पुलिस अधिकारी कुछ भी बताने से इंकार कर रहे हैं। वहीं बिटिया के परिजन स्पष्ट रूप से कह रहे हैं कि आरोपी पक्ष के लोग उन्हें फंसाने की साजिश कर रहे हैं।
बिटिया के भाई का कहना है कि आरोपी पक्ष से मेरी आमने सामने भी बात नहीं होती तो हम फोन पर क्यों बात करेंगे। घर में एक ही नंबर है, वह भी हमारे पिता के पास रहता है। हमारी बहन हमारी निगरानी में रहती थी।
बिटिया के पक्ष और आरोपी पक्ष की कॉल डिटेल भी पुलिस खंगाल रही है। सूत्रों की मानें तो यह बात भी सामने आई कि इस केस में पहले आरोपी संदीप के मोबाइल नंबर और मृतका के भाई के नाम के मोबाइल नंबर पर पांच माह की सीडीआर में 104 बार बातचीत की बात सामने आ रही है। इस बातचीत का कुल समय 5 घंटे से भी ज्यादा का रहा है। पांच माह की यह सीडीआर अक्टूबर 2019 से मार्च 2020 तक की है। फरवरी माह में तो दोनों नंबरों पर चालीस बार बातचीत हुई। मार्च में भी बातचीत हुई। यह पूरा मामला खासा वायरल हो रहा है।
वहीं बिटिया का भाई इसे साजिश बता रहा है। उसका कहना है कि आरोपी पक्ष से मेरी कभी आमने सामने भी बात नहीं हुई है, तो फोन पर हम क्यों बात करेंगे। पता नहीं किस तरीके से हमारे नंबरों को मिला कर दिखाया जा रहा है। यह बात समझ से बाहर है। उसका कहना है कि हालांकि यह नंबर तो हमारा ही है, लेकिन दूसरा नंबर किसका है, इसकी हमें कोई जानकारी नहीं है। यह पूरा मामला घुमाया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि घर में एक ही मोबाइल है। हमारी बहन हमारी निगरानी में रहती थी। घर में यह फोन परिजनों पर ही रहता था। यह नंबर 2006 से चल रहा है। वहीं परिजनों का कहना है कि हमारा मोबाइल कई बार खोया था, लेकिन उसी दिन या अगले दिन नई सिम निकलवा ली गई थी।
हमारा आरोपी पक्ष से कोई संपर्क नहीं है। शासन प्रशासन पूरे मामले में लीपा पोती कर रहा है। एक सवाल के जवाब में कहा कि अगर कभी आरोपी पक्ष का नार्को टेस्ट हुआ है, तो हम नार्को टेस्ट करा सकते हैं। हमें न्याय चाहिए। परिजनों का कहना है कि जिले में धारा 144 लगी हुई, फिर भी आरोपी पक्ष की पंचायत हो रही हैं।