हरियाणा के ईंट भट्टों में अब इस चीज का उपयोग अनिवार्य

हर साल कटाई के बाद पराली जलाने की समस्या किसानों और पर्यावरण दोनों के लिए बड़ी चिंता बन जाती है। अब हरियाणा सरकार ने ईंट भट्टों में कोयले के साथ धान की पुआल-पेलेट का इस्तेमाल अनिवार्य कर दिया है।

यह कदम न सिर्फ पराली जलाने को कम करेगा, बल्कि किसानों के लिए अतिरिक्त आय और ईंधन की बचत का भी मौका देगा। हरियाणा के गैर-एनसीआर जिलों में अब ईंट भट्टों को कोयले के साथ धान की पुआल से बने बायोमास पेलेट का उपयोग करना अनिवार्य कर दिया गया है। यह कदम हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (HSPCB) की ओर से ठंडी और साफ ईंधन के उपयोग को बढ़ावा देने तथा पराली जलाने की समस्या को कम करने के लिए उठाया गया है।

को कम से कम 20% बायोमास पेलेट का इस्तेमाल करना होगा. यह अनुपात धीरे-धीरे बढ़ाकर नवंबर 2028 तक 50% तक पहुंचाया जाएगा। यह निर्णय 7 नवंबर को राज्य स्तरीय बैठक में मुख्य सचिव की अध्यक्षता में लिया गया।

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने अधिकारियों को सख्त निगरानी का निर्देश दिया है। ईंधन उपयोग का पूरा रिकॉर्ड रखा जाएगा और नियमों का उल्लंघन करने वालों पर कार्रवाई होगी। ईंट भट्टों की जांच खाद्य और आपूर्ति विभाग के साथ मिलकर की जाएगी।नियमों का पालन न करने पर लाइसेंस निलंबित या जुर्माना लगाया जा सकता है।हिसार जिले में वर्तमान में आठ एजेंसियाँ पेलेट बनाने में लगी हुई हैं। अन्य जिलों में भी ऐसे सुविधाएँ उपलब्ध हैं. अधिकारियों ने बताया कि सभी ईंट भट्टा मालिकों को पेलेट के उपयोग के निर्देश पहले ही दे दिए गए हैं। किसानों और ईंट भट्टा मालिकों के लिए यह नीति फायदेमंद है. यह न सिर्फ पर्यावरण को साफ रखने में मदद करेगी, बल्कि फसल अवशेष से आमदनी बढ़ाने का अवसर भी देगी।

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com