चिराग पासवान ने मुख्यमंत्री पर युवा नेताओं को खारिज करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, ‘मेरा मानना है कि बिहार के मुख्यमंत्री ने नीतियों को लागू करना बंद कर दिया और संतृप्त हो गए। उन्होंने युवा नेताओं को खारिज कर दिया, उन्हें अनुभवहीन कहा लेकिन खुद उन्होंने खुद जेपी आंदोलन के दौरान एक युवा कार्यकर्ता के तौर पर राजनीति शुरू की थी। हम भी बिहार के लिए जागरूक हैं और अच्छा सोच सकते हैं। राज्य ने उन्हें पहले ही 15 साल दे दिए हैं।’

एनडीए से अलग होकर चुनाव लड़ने और इसके परिणाम को लेकर पूछे गए सवाल पर लोजपा नेता ने कहा, ‘एनडीए से अलग होने के फैसले पर पछतावा नहीं हैं और न ही उन्हें यह फैसला लेने में डर लगा।
पापा बोलते थे कि अगर शेर का बच्चा होगा तो जंगल चीर कर निकलेगा। अगर गीदड़ होगा तो वो मारा जाएगा। मैं भी अब खुद को परखने निकला हूं। शेर का बच्चा हूं तो जंगल चीर कर निकलूंगा। नहीं तो वहीं मारा जाऊंगा।’
चिराग पासवान ने कहा, ‘बिहार फर्स्ट की सोच से जदयू के नेताओं की गले की फांस बन चुका है। प्रधानमंत्री जी के विकास के मंत्र के साथ मैं बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट के लिए प्रतिबद्ध हूं।
नीतीश कुमार जी को भाजपा के साथियों का धन्यवाद करना चाहिए की वे मुख्यमंत्री के खिलाफ इतना आक्रोश होने के बावजूद गठबंधन धर्म निभा रहे हैं और हर दिन नीतीश कुमार जी को प्रमाणपत्र देते हैं की वे चिराग के साथ नहीं है।
मैं नहीं चाहता की मेरी वजह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी किसी धर्म संकट में पड़ें। वे अपना गठबंधनधर्म निभाएं। आदरणीय मौजूदा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी को संतुष्ट करने के लिए मेरे खिलाफ भी कुछ कहना पड़े तो निस्संकोच कहें।’
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