सीबीएसई के डायरेक्टर ने गुरुवार को कहा कि बच्चों की सही शिक्षा के लिए माता-पिता और स्कूल मैनेजमेंट के बीच सहयोग की आवश्यकता है. सीबीएसई के ट्रेनिंग और स्किल डायरेक्टर बिस्वजीत साहा ने शिक्षा पर एक ई-सत्र के आयोजन के दौरान कहा, “माता-पिता और स्कूल प्रबंधन को बच्चों की शिक्षा के लिए एक-दूसरे का सहयोग करना चाहिए.” दरअसल, अभिभावकों की तरफ से इस बात की शिकायत की गई है कि कुछ प्राइवेट स्कूल ट्यूशन फीस के अलावा भी कई दूसरी चीजों की फीस ले रहे हैं, जबकि स्कूल लंबे समय से बंद हैं. लॉकडाउन के दौरान बच्चों की सिर्फ सीमित ऑनलाइन क्लासेस ही ली गई हैं. ऐसे में ट्यूशन फीस के अलावा अन्य चीजों के लिए फीस की मांग करना गलत है.
सांसद और भाजपा के शिक्षक सेल के सदस्य लॉकेट चटर्जी की तरफ से भी मांग की गई है कि निजी स्कूलों को मार्च के मध्य में शुरू होने वाले संपूर्ण लॉकडाउन अवधि के लिए स्कूलों को किसी तरह फीस नहीं लेनी चाहिए. बता दें कि कई राज्यों ने निजी स्कूलों को फीस कम करने या फीस में छूट देने का निर्देश भी दिया है.
वहीं, कोरोनावयरस के बीच सीबीएसई बोर्ड की परीक्षाएं (CBSE Board Exams 2020) आयोजित कराने का मामला काफी गरमाया हुआ है. सीबीएसई बोर्ड की परीक्षाएं रद्द कराने का मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है. कुछ अभिभावकों ने कोरोनावायरस के खतरे को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है और 12वीं बोर्ड के बचे हुए पेपर रद्द कराने की मांग की है. इसी मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने सीबीएसई बोर्ड (CBSE Board) से जवाब मांगा है. इस मामले की सुनवाई अब 23 जून को होगी.
वहीं, दूसरी ओर दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को पत्र लिखकर मांग की है कि सीबीएसई (CBSE Board Exams 2020) के बचे हुए पेपर न कराए जाएं. मनीष सिसोदिया ने कहा है कि कोरोनावायरस (Coronavirus) के चलते जो हालात पैदा हुए हैं, उनमें एग्जाम कराना बहुत ही मुश्किल है. लिहाजा, एग्जाम रद्द करके, प्री बोर्ड या इंटरनल मार्क्स के आधार पर रिजल्ट जारी कर दिया जाए. अब देखना ये होगा कि क्या सीबीएसई बोर्ड की परीक्षाएं रद्द की जाती हैं या कोई नई गाइडलाइन जारी की जाती हैं.