वित्तमंत्री मनप्रीत बादल बोले- जानकारी नहीं, कर्मचारियों ने बजट में करवा दिया अतिरिक्त वेतन का प्रावधान…

पंजाब पुलिस को हर साल 12 केे बजाय 13 महीनों का वेतन मिलता है। अब इस श्रेणी में पंजाब विधानसभा के कर्मचारी भी शुमार हो गए हैं। विधानसभा सचिवालय ने विधानसभा सेशन के दौरान कर्मचारियों को उस दिन का भत्ता अलग से देने का प्रावधान बजट में करवा लिया है।

जब वित्तमंत्री मनप्रीत बादल से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उन्हें ऐसी कोई जानकारी नहीं है। उन्होंने अपने विभाग से पता करवाया तो पता चला कि इसे वेतन के रूप में नहीं, लेकिन भत्तों के रूप में देने का फैसला किया गया है, जो लगभग एक महीने की तनख्वाह के बराबर है। वित्तमंत्री ने इस पर हैरानी भी जताई और माना कि ऐसी मांग तो सभी विभागों से उठ सकती है। पता चला है कि वित्तमंत्री मनप्रीत बादल ने यह फाइल अपने पास मंगवाई है, ताकि इसका अध्ययन किया जा सके।

पंजाब में विधानसभा की हर साल 14 से 18 बैठकें होती हैं। साथ ही इनके बीच में छुट्टियां भी होती हैं। यानी कुल मिलाकर विधानसभा के तीन सेशन एक महीने के लगभग चलते हैं। ऐसे में उतने समय के लिए विधानसभा के कर्मचारियों को अतिरिक्त वेतन मिलेगा। विधानसभा का खर्च सरकार की ओर से तय न करके खुद विधानसभा सचिवालय की ओर से किया जाता है, इसलिए यह मामला बाहर नहीं आया।

सरकार का ज्यादा दखल नहीं-    वित्त विभाग के एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि उनके पास विधानसभा का कुल बजट आता है। इसमें हर मद में कितना कितना पैसा रखा गया है, केवल इसकी जानकारी होती है, लेकिन विधानसभा सचिवालय ने इसमें कहां और कितनी वृद्धि की है, कई बार इसका पता नहीं चलता। उन्होंने बताया कि विधायकों के वेतन और भत्ते तय करने के लिए कोई आयोग गठित नहीं होता, जैसा कि सरकारी कर्मचारियों के वेतन और भत्ते तय करने के लिए किया जाता है। विधायकों की अपनी कमेटी ही यह तय करती है कि उनका वेतन और भत्ते कितने होंगे? सरकार का इसमें ज्यादा दखल नहीं होता।

वेतन के रूप में मिलेंगे अतिरिक्त भत्ते-   विधानसभा के एक सीनियर अधिकारी ने माना कि इसी साल से इसका प्रावधान हो गया है और अब विधानसभा के कर्मचारियों को सेशन के दौरान के भत्ते वेतन के अलावा अतिरिक्त तौर पर मिलेगा। उन्होंने दलील दी कि सेशन के दौरान विधानसभा के कर्मचारियों को दिन-रात काम करना पड़ता है। सवालों को मंगवाना, बिल तैयार करवाना, सभी संबंधित विधायकों व अफसरों तक पहुंचाने आदि का काम काफी ज्यादा होता है। इस दौरान कर्मचारी अपनी आठ घंटे की ड्यूटी से कहीं ज्यादा काम करते हैं।

 

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