बता दें कि हाल ही में अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली-एनसीआर में 140 किलोमीटर लंबी रेल पटरियों के आसपास बनी झुग्गियां हटाई जाएं. कोर्ट ने ये भी निर्देश दिया गया है कि कोई भी अदालत झुग्गी-झोपड़ियों को हटाने पर स्टे नहीं देगी.
वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय माकन ने आज पूर्व न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ द्वारा दिए गए निर्देशों को चुनौती देते हुए उच्चतम न्यायालय का रुख किया, जिसमें अदालत ने दिल्ली में लगभग 48,000 झुग्गियों के साथ-साथ रेलवे पटरियों को हटाने का निर्देश दिया था.

किसकी याचिका पर दिया गया फैसला?
बता दें कि 2018 में दिल्ली हाई कोर्ट ने भी रेलवे ट्रैक के सेफ्टी जोन से झुग्गियों को हटाने का आदेश जारी किया था. उस दौरान काफी पॉलीटिकल ड्रामा हुआ था और सभी राजनीतिक पार्टियां झुग्गी में रहने वाले लोगों के समर्थन में उतर आई थीं. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने ये आदेश एमसी मेहता मामले में दिया है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट साल 1985 के बाद से दिल्ली और उसके आसपास प्रदूषण से संबंधित मुद्दों पर समय-समय पर आदेश जारी करता रहता है.
भारतीय रेलवे ने झुग्गियों को लेकर कोर्ट में कही ये बातें
भारतीय रेलवे ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि दिल्ली-एनसीआर में 140 किलोमीटर लंबी रेलवे लाइन के साथ झुग्गीवासियों का अतिक्रमण है, जिसमें से 70 किलोमीटर लाइन के साथ बहुत ज्यादा है. यहां करीब 48000 झुग्गियां हैं. रेलवे ने कहा कि एनजीटी ने अक्टूबर 2018 में आदेश दिया था, जिसके तहत इन झुग्गी बस्तियों को हटाने के लिए स्पेशल टास्क फोर्स का गठन किया गया था.
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