महाराष्ट्र महा विकास अघाड़ी (MVA) के विधायकों ने शनिवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी को संसद सदस्य के रूप में अयोग्य ठहराए जाने के खिलाफ राज्य विधानसभा के बाहर मौन धरना दिया।

इस दौरान विधायक मुंह पर काली पट्टी बांधकर पोस्टर लेकर विधानसभा की सीढ़ियों पर बैठे रहे। बता दें कि शिवसेना (उद्धव ठाकरे) गुट के नेता आदित्य ठाकरे और कांग्रेस के जयंत पाटिल ने भी इस विरोध प्रदर्शन में भाग लिया।
शुक्रवार को, कांग्रेस नेता राहुल गांधी को उनकी ‘मोदी सरनेम’ टिप्पणी पर 2019 के आपराधिक मानहानि मामले में दोषी ठहराए जाने की तारीख से संसद सदस्य (सांसद) के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया है।
लोकसभा से राहुल गांधी की अयोग्यता ने भाजपा के साथ एक बड़े राजनीतिक विवाद को जन्म दिया है। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि राहुल गांधी को जानबूझकर अयोग्य साबित किया गया।
जहां प्रियंका गांधी वाड्रा और पार्टी प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे सहित कांग्रेस नेताओं ने राहुल गांधी का समर्थन किया, वहीं ममता बनर्जी, के चंद्रशेखर राव, एमके स्टालिन, हेमंत सोरेन, अरविंद केजरीवाल, शरद यादव, उद्धव ठाकरे और अखिलेश यादव सहित विपक्षी नेताओं ने भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार पर हमला किया।
वाम दलों (Left parties), जनता दल-सेक्युलर (Janata Dal-Secular) के नेताओं ने भी सरकार पर हमला बोला। उनमें से कुछ ने इसे भारतीय लोकतंत्र के लिए “काला दिन” कहा। एनसीपी नेता शरद पवार ने कहा कि विपक्षी नेताओं को हमारे लोकतांत्रिक संस्थानों की रक्षा के लिए एक साथ खड़े होने की जरूरत है।
हमारा संविधान निष्पक्ष न्याय के लिए प्रत्येक व्यक्ति के अधिकार की गारंटी देता है; विचार की स्वतंत्रता; स्थिति और अवसर की समानता और प्रत्येक भारतीय की गरिमा सुनिश्चित करने वाली बंधुता। लोकसभा के सांसद के रूप में कुछ महीने पहले राहुल गांधी और फैजल की अयोग्यता संविधान के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है, जहां लोकतांत्रिक मूल्यों पर अंकुश लगाया जा रहा है।
यह निंदनीय है और उन सिद्धांतों के खिलाफ है जिन पर संविधान आधारित है। उन्होंने एक ट्वीट में कहा, हम सभी को अपने लोकतांत्रिक संस्थानों की रक्षा के लिए एक साथ खड़े होने की जरूरत है। उद्धव ठाकरे ने कहा कि यह लोकतंत्र की हत्या है।
उन्होंने कहा कि राहुल गांधी की उम्मीदवारी रद्द कर दी गई है। चोर कहना हमारे देश में एक अपराध हो गया है। चोर और लुटेरे अभी भी आजाद हैं और राहुल गांधी को सजा मिल गई। यह लोकतंत्र की हत्या है। सभी सरकारी तंत्र दबाव में हैं। यह तानाशाही के अंत की शुरुआत है।
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