अंगूठे के निशान व हस्ताक्षर मैच न करने पर बर्खास्त किए गए केंद्रीय बलों के कॉन्स्टेबलों के लिए ये खबर किसी खुशखबरी से कम नहीं है. इलाहाबाद इस प्रकार से बर्खास्त किये गए कॉन्स्टेबलों को बड़ी राहत देते हुए कर्मचारी चयन आयोग के बर्खास्तगी वाले फैसले को रद्द कर दिया है. न्यायालय ने आयोग के फैसले को नैसर्गिक न्याय के खिलाफ बताया है. साथ ही ऐसे कॉन्स्टेबलों को जल्द से जल्द बहाल करने के भी आदेश दिए है. बता दें कि कर्मचारी चयन आयोग ने इलाहाबाद परिक्षेत्र में केंद्रीय बलों के लिए चयनित कांस्टेबलों के अंगूठे के निशान व हस्ताक्षर मैच ना करने पर बर्खास्तगी के आदेश दे दिए थे. आयोग के इस फैसले के खिलाफ कांस्टेबलों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में चैलेंज किया, जिसपर हाईकोर्ट ने उनके पक्ष में फैसला सुनाया है. 
न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार मिश्र ने मामले की सुनवाई शुरू की तो दलील दी गई कि आयोग ने बिना कोई पक्ष सुने एकतरफा कार्यवाही की है. इस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आयोग के सभी आदेश को रद्द कर दिया है. इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिकाकर्ताओं की तरफ से दी गई दलील पर कहा कि, ‘हस्ताक्षर और अंगूठे का मिलान नहीं होने पर अगर बर्खास्तगी हुई है तो आयोग की यह अभ्यर्थी को बताना चाहिये. आयोग ने किसी भी अभ्यर्थी को यह क्यों नहीं बताया? अगर हस्ताक्षर और अंगूठे का निशान मेल नहीं खा रहा है तो कारण बताओ नोटिस जारी किया जाना चाहिए.’
हाईकोर्ट ने कहा कि, अगर आयोग ने बर्खास्तगी का फैसला किया तो फिर अभ्यर्थियों को विशेषज्ञों की राय से अवगत कराया जाना चाहिए था और साथ ही उन्हे अपना पक्ष रखने का मौका दिया जाना चाहिए था. जब आयोग पहचान करने में असफल रहा और किसी को भी अपना पक्ष रखने का मौका नहीं दिया तो यह एकतरफा कारवाई नैसर्गिक न्याय के विपरीत है। इसलिए आयोग आदेश रद्द किया जाने योग्य है.’
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