कोरोना के तेजी से बढ़ते संक्रमण के बाद मरीजों का बेहतर इलाज और मृत्युदर को कम करना सरकार की पहली प्राथमिकता हो चुकी है। देश में फिलहाल हर दिन कोरोना के 3 हजार से ज्यादा नए मरीज सामने आ रहे हैं।
लेकिन राहत की बात यह है कि रिकवरी रेट भी बढ़ा है। लॉकडाउन 3.0 में मिली छूट का असर अगले हफ्ते सामने आने के बाद हर दिन नए मरीजों की संख्या और ज्यादा होना तय माना जा रहा है।
सरकार ने साफ कर दिया है कि लोगों को कोरोना के साथ ही जीना सीखना होगा। लेकिन लॉकडाउन के नियमों का सख्ती और इमानदारी से पालन करें तो देश में कोरोना को चरम पर पहुंचने से रोका भी जा सकता है।
देश में कोरोना के मरीजों की संख्या बढ़ने की रफ्तार भले ही तेज हो, लेकिन अच्छी बात यह है कि हर तीसरा मरीज ठीक होकर घर भी जा रहा है। जहां कोरोना से स्वस्थ्य होने वाले मरीज 29.36 प्रतिशत है, वहीं इससे मरने वाले मरीज 3.2 प्रतिशत ही हैं।
स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने बताया कि वैसे तो दुनिया के दूसरे देशों की तुलना में भारत में मरने वाले मरीजों का प्रतिशत बहुत ही कम है, लेकिन इसे और भी बेहतर किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि अगर हम लॉकडाउन के नियमों का सही तरीके से पालन करें तो देश में कोरोना महामारी को चरम बिंदु पर पहुंचने से रोका जा सकता है। अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती मरीजों का आंकड़ा बताते हुए लव अग्रवाल ने कहा कि भारत में कुल मरीजों में सिर्फ 1.1 फीसद मरीजों को ही वेंटिलेटर पर रखने की जरूरत पड़ रही है।
वहीं 3.2 फीसदी मरीजों को ऑक्सीजन और 4.7 फीसदी मरीजों को आइसीयू में रखना पड़ रहा है यानी केवल नौ प्रतिशत मरीजों को अस्पताल में विशेष इलाज की जरूरत पड़ रही है। बाकी 91 फीसदी मरीज सामान्य इलाज से ही स्वस्थ्य हो रहे हैं। वहीं दूसरी ओर दुनिया भर में औसतन 20 फीसदी मरीजों को अस्पताल में विशेष इलाज की जरूरत पड़ती है।
लव अग्रवाल ने आगे कहा कि वेंटिलेटर, ऑक्सीजन, पीपीई किट्स, एन-95 मास्क जैसे आवश्यक उपकरणों की पर्याप्त उपलब्धता के साथ अब हम मरीजों की बेहतर देखभाल के लिए तैयार हैं और मृत्युदर को नीचे लाना सरकार की पहली प्राथमिकता है।
साथ ही उन्होंने कहा कि कोरोना के खिलाफ लड़ाई बहुत मुश्किल लड़ाई है। हमें कोरोना वायरस के साथ जीना सीखना होगा। हमें शारीरिक दूरी को बनाए रखने जैसे उपायों को अपनी दिनचर्या में लाना होगा।