गरीब सवर्णों के लिए 10 फीसदी आरक्षण लागू होने के बाद मेडिकल कॉलेजों में सीटों की संख्या बढ़ाने की कवायद के बीच मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) ने नियमों में बदलाव कर मंजूरी के लिए केंद्र को भेजा है। ताकि एमबीबीएस की सीटों की मौजूदा संख्या में कमी नहीं आए। नए नियमों में के तहत मेडिकल कॉलेज को उतनी सीटों की मंजूरी दी जाएगी, जितनी सीटों के लायक सुविधाएं कॉलेज के पास हैं।
वर्तमान नियमों में सभी मेडिकल कॉलेजों को अपने यहां एमबीबीएस के पहले वर्ष में प्रवेश देने के लिए एमसीआई से मंजूरी लेनी पड़ती है।
साथ ही सीटों की संख्या भी बतानी होती जिनपर प्रवेश लिया जाना है। इसके बाद एमसीआई की टीम कॉलेज की जांच करती है और आवेदन की गई सीटों के अनुरूप सुविधाएं नहीं होने पर एक भी सीट पर प्रवेश की अनुमति नहीं देती। इसके चलते हर साल दो हजार से तीन हजार सीटें खराब हो जाती हैं।
अब जबकि गरीब सवर्णों के लिए आरक्षण लागू होने से मेडिकल कॉलेजों पर सीटों को बढ़ाने का दबाव है, एमसीआई ने इस अव्यवस्था पर रोक लगाने का फैसला किया है।
संशोधित नियमों में अगर कॉलेज से 100 सीटों के आवेदन किया है और उसके पास 70 सीटों के ही लायक क्षमता है, तो उसे इतनी सीटों पर प्रवेश की अनुमति दे दी जाएगी। इस तरह, ये 70 सीटें खराब होने से बच जाएंगी।
मेडिकल एजुकेशन से जुड़े विशेषज्ञों के मुताबिक, एमसीआई के वर्तमान नियम ही एमसीआई में भ्रष्टाचार का मुख्य कारण थे और इसी की वजह से मेडिकल कॉलेजों के संचालक एमसीआई के दबाव में रहते थे। दरअसल, इन नियमों के चलते जांच करने वाली टीम को इस बात का अधिकार रहता था कि वह कॉलेज की क्षमता कम पाए जाने के बाद एडमिशन पर पूरी तरह से रोक लगा दे।
सभी सीटों की अनुमति वापस लेने के भय के कारण कई बार मेडिकल कॉलेज संचालकों को जांच दल या एमसीआई के उच्च पदाधिकारियों को रिश्वत तक देनी पड़ती थी।