एक सप्ताह पहले ही अमेरिका ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत से सहयोग की अपील की थी। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि भारत को अफगानिस्तान में तालिबान और इस्लामिक स्टेट (ISIS) के खिलाफ लड़ाई में उतरना चाहिए। अब भाजपा के एक बड़े नेता ने दावा किया है कि अगर आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत अमेरिका का साथ देता है तो बदले में वह पीओके वापस दिलाने में हमारी मदद करेगा।
ये दावा वरिष्ठ अधिवक्ता और भाजपा के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने किया है। उन्होंने शनिवार दोपहर एक ट्वीट कर ये दावा किया है। इस ट्वीट में सुब्रमण्यम स्वामी ने लिखा है कि मेरे पास अब एक पुख्ता हिंट है कि अगर भारत तालिबान जैसे आतंकवादी संगठनों से अफगानिस्तान को बचाने में मदद करता है और इससे अमेरिकी सेनाओं की अफगानिस्तान से वापसी संभव हो पाती है तो तब अमेरिका, पीओके को वापस भारत में मिलाने के लिए पूरा सहयोग करेगा।
370 खत्म करने से सीमा पर बढ़ा है तनाव
सुब्रमण्यम स्वामी का ये बयान ऐसे वक्त आया है जब केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को खत्म कर विशेष राज्य का दर्जा खत्म कर दिया है। साथ ही जम्मू-कश्मीर को दो भागों (जम्मू-कश्मीर और लद्दाख) में विभाजित कर दोनों नए राज्यों को केंद्र शासित प्रदेश बना दिया है। भारत के इस फैसले से पाकिस्तान बुरी तरह से तिलमिलाया हुआ है और लगातार युद्ध की गीदड़भभकी दे रहा है। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और गृहमंत्री अमित शाह समेत भाजपा के कई बड़े नेता स्पष्ट कर चुके हैं कि पाकिस्तान से अब बातचीत होगी तो केवल पीओके पर।
PoK ही नहीं गिलगित-बल्टिस्तान भी भारत का
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने दो दिन पहले लद्दाख दौरे के वक्त भी कहा था कि पीओके ही नहीं गिलगित-बल्टिस्तान भी भारत का हिस्सा है और पाकिस्तान ने वहां अवैध कब्जा कर रखा है। उन्होंने पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देते हुए कहा था कि भारत पाकिस्तान की हर चाल से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार है। केंद्रीय मंत्रियों के इस तरह के बयान से उम्मीद लगाई जा रही है कि जम्मू-कश्मीर के बाद भारत अब जल्द ही पीओके को लेकर कोई बड़ा कदम उठा सकता है।
ट्रंप ने अफगानिस्तान में भारत से मांगी थी मदद
मालूम हो कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रप ने एक सप्ताह पूर्व व्हाइट हाउस में मीडिया से बात करते हुए बोला था, ‘अफगानिस्तान में आतंकी संगठनों के खिलाफ भारत, रूस, तुर्की, इराक और पाकिस्तान को भूमिका निभाई ही होगी।’ उन्होंने कहा था कि सात हजार मील दूर से अमेरिका, अफगानिस्तान में आतंकवादियों के खिलाफ जंग लड़ रहा है, जबकि बाकी देश आतंकवाद के खिलाफ इस लड़ाई में बिल्कुल मदद नहीं कर रहे हैं। इतना ही नहीं अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा था कि भारत, वहां (अफगानिस्तान) में मौजूद है, लेकिन लड़ नहीं रहा है। जहां कहीं भी आइएसआइएस (ISIS) की मौजूदगी है, किसी ना किसी वक्त इन देशों को लड़ना ही होगा।
अफगानिस्तान में भारत की भूमिका को लेकर बदली रणनीति
अफगानिस्तान में भारत की भूमिका को लेकर जिस तरह ट्रंप ने बयान दिया था, यह अमेरिका की रणनीति में बड़े बदलाव को दिखाता है। ट्रंप की दक्षिण एशिया की रणनीति में भारत की अफगानिस्तान में भूमिका रचनात्मक और विकास कार्यों तक सीमित रही है। भारत, अफगानिस्तान में विकास कार्यों में लगातार योगदान दे रहा है। अमेरिका ने इससे पहले कभी भी भारत को अफगानिस्तान में आतंक निरोधी अभियान का हिस्सा बनने को नहीं कहा था। भारत खुद भी आतंकवादियों के खिलाफ लड़ाई में शामिल होना चाहता है। ऐसे में भारत को लेकर ट्रंप को बयान पाकिस्तान के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।