आजम खान का 1980 से गढ़ रही यूपी की रामपुर विधानसभा सीट पर इन दिनों का उपचुनाव का शोर है। आजम खान को अयोग्य करार दिए जाने और उनके चुनाव लड़ने पर रोक के बाद यहां चुनाव हो रहा है। समाजवादी पार्टी ने यहां से आजम खान के ही करीबी आसिम रजा को मैदान में उतारा है, लेकिन साख आजम की ही दांव पर है। खुद आजम खान शहर में हर जगह प्रचार पर जा रहे हैं और भावुक अपीलें कर रहे हैं। वहीं भाजपा भी इस बार कोई कसर छोड़ने के मूड में नहीं है। वह रामपुर में खिचड़ी पंचायतें कर रही है, जिसमें सभी समुदायों के लोगों को आमंत्रित किया जा रहा है।
भाजपा को उम्मीद है कि वह रामपुर में पसमांदा मुसलमानों को लुभा लेगी, जो आमतौर पर आजम खान के ही साथ रहे हैं। भाजपा ने यहां कभी जीत हासिल नहीं की है, लेकिन इस बार उसे आकाश सक्सेना की जीत की उम्मीद है। आकाश सक्सेना को आजम खान के विरोधी के तौर पर जाना जाता है। उन्होंने आजम खान पर कई मुकदमे दर्ज किए हैं। भाजपा ने बीते कुछ दिनों में बड़ी संख्या में मुस्लिम नेताओं को जोड़ा है। ऐसे में उसे उम्मीद है कि वह आजम खान के बेस वोट में सेंध लगा सकेगी। रामपुर विधानसभा सीट पर अकेले मुस्लिम समुदाय के ही 1.5 लाख मतदाता हैं।
इन्हीं डेढ़ लाख वोटरों को लुभाने के लिए भाजपा खिचड़ी पंचायत कर रही है तो आजम खान भेड़िये के डर दिखा रहे हैं। वह कई सभाओं में भाजपा की ओर इशारा करते हुए कह चुके हैं कि भेड़िया तुम्हारे दरवाजे पर खड़ा है। वह खुद आसिम रजा को साथ लेकर प्रचार कर रहे हैं। आसिम रजा को आजम का इतना भरोसा हासिल है कि इसी साल लोकसभा उपचुनाव में भी पार्टी ने उन्हें उतारा था, लेकिन उन्हें करारी हार मिली थी। उनके मुकाबले कभी आजम के ही करीबी रहे घनश्याम लोधी को भाजपा ने टिकट दिया था, जिन्हें जीत हासिल हुई थी।
भेड़िये को घुसने मत दो, क्यों भावुक हो जा रहे आजम खान
हालांकि इस पूरी जंग में अपने गढ़ में ही आजम खान घिरते दिख रहे हैं। कांग्रेस के नेता नवाब काजिम अली खान ने भाजपा के समर्थन का ऐलान कर दिया है। यही वजह है कि आजम खान इमोशनल कार्ड भी खेल रहे हैं ताकि मुस्लिमों की गोलबंदी बरकरार रखी जा सके। वह कई सभाओं में कह चुके हैं, ‘भेड़िये से सावधान रहो, जो तुम्हारे दरवाजे पर खड़ा है। उसे अंदर मत घुसने दो।’ यही नहीं कई बार वह लोगों के लिए कामों को गिनाते हुए भावुक हो जाते हैं और जेल की अपनी सजा को याद करते हैं।