हिंदू पंचांग की गणना के अनुसार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर करवा चौथ का पर्व मनाया जाता है। इस बार यह त्योहार 04 नवंबर को है। करवा चौथ का व्रत सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और उनकी सुख-समृद्धि की कामना के लिए रखती है। करवा चौथ पर सुहागिन महिलाएं करवा माता के साथ भगवान शिव और माता पार्वती की विधिवत पूजा-अर्चना करती हैं।
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इस दिन महिलाएं पूरे दिन बिना पानी पीए उपवास रखती है। रात को चांद के दर्शन और पूजा के बाद पति के हाथों से जल ग्रहण करती है। करवा चौथ में चांद का दर्शन और पूजा का विशेष महत्व होता है। सुबह से निर्जला व्रत रखते हुए जब रात को चांद के दर्शन होते तब करवा चौथ का व्रत पूरा माना जाता है।
दिल्ली को आधार मानते हुए करवा चौथ की रात यानी 04 नवंबर को चांद रात के 8 बजकर 11 मिनट पर निकलेगा। हालांकि अलग- अलग शहरों में चांद के निकलने में थोड़ा बहुत अंतर हो सकता है।
इस बार चार नवंबर को करवा चौथ का पर्व है। ज्योतिषाचार्यो के अनुसार वर्षों बाद विशेष ज्योतिषीय योग और संयोग बन रहे हैं। चतुर्थी बुधवार, मृगशिरा नक्षत्र, अहर्निश शिव महायोग, सर्वार्थसिद्धि योग और बुध प्रधान मिथुन राशि का चंद्रमा ये सब अखंड सुहाग के प्रतिमान करवाचौथ को कुछ विशेष बना रहे हैं।
ये सभी योग पूरे शिव परिवार का आशीष प्रदान करने वाले हैं। करवा चौथ चतुर्थी की तिथि बुधवार के दिन पड़ने के कारण इसका महत्व और भी बढ़ गया है। बुधवार को करवा चौथ पर भगवान गणेश की विशेष कृपा प्राप्त होगी। जिस कारण से पति-पत्नी में प्रेम बढ़ेगा। इस योग पूजा करने से महिलाओं को व्रत का पूरा फल मिलेगा।