बिहार में लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के अंदर जारी सियासी संग्राम अभी खत्म नहीं हुआ है। पार्टी पर चिराग पासवान के चाचा पशुपति पारस ने कब्जा कर लिया है। ऐसे में चिराग पासवान अकेले पड़ गए हैं और अपने वर्चस्व की लड़ाई लड़ रहे हैं। इसी बीच लोजपा के युवा नेता और चिराग के दोस्त सौरभ पांडेय ने स्वर्गीय रामविलास पासवान की लिखी गई चिट्ठी जारी कर दी है। इसपर विवाद शुरू हो गया।
चिराग पासवान ने अपने पिता की एक पुरानी चिट्ठी जारी कर यह बताना चाहा है कि जिस सौरभ पांडेय को विवाद का मूल माना जा रहा है उसे स्व. पासवान अपने जीवन काल में बेटे की तरह मानते थे और उनके राजनीतिक फैसलों को सही ठहराते रहे।
उधर, पारस गुट ने चिट्ठी को तो असली बताया है, लेकिन कहा कि उसे फर्जी तारीख डालकर जारी किया गया है। साथ ही, चार पेज की चिट्ठी के मात्र दो पेज ही जारी किए गए हैं। शेष पन्ने जिसमें उन्होंने पशुपति कुमार पारस व स्वर्गीय रामचंद्र पासवान की सराहना की, उसे गायब कर दिया गया है।
चिराग द्वारा सोमवार को जारी की गई चिट्ठी नव वर्ष की शुभकामना से जुड़ी है। पत्र में पासवान ने सौरभ को न सिर्फ परिवार का सदस्य बताया है बल्कि उन्हें ‘चिराग’ की तरह बताया है। उन्होंने कहा है कि आज चिराग जितनी ऊंचाई पर है वह सब तुम्हारे कारण है। साथ ही, दोनों की खूब प्रशंसा की गई है।
उधर, पारस गुट के प्रवक्ता श्रवण कुमार अग्रवाल ने पशुपति कुमार पारस की प्रतिक्रिया देते हए कहा कि पत्र का आंशिक रूप ही जारी किया गया। साथ ही वर्ष 2015 के इस पत्र में तारीख बदल दी गई है। पत्र के उस अंश को नहीं जारी किया गया जिसमें रामविलासजी ने पशुपति कुमार पारस और रामचंद्र पासवान की काफी प्रशंसा की है। साथ ही उन्हें राजनीतिक सूझबूझ वाला बताया है।