पॉपुलर फ्रंट इंडिया (PFI) के खिलाफ हुई कार्रवाई के बाद बड़ा खुलासा हुआ है। खबर है कि प्रवर्तन निदेशालय ने दावा किया है कि संगठन ने बिहार के पटना में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली को निशाना बनाने की योजना तैयार की थी। साथ ही जांच एजेंसी ने बताया कि PFI टेरर मॉड्यूल तैयार करने और अन्य हमलों की भी तैयारी कर रहा था।
एक रिपोर्ट के अनुसार, केरल से गिरफ्तार हुए PFI सदस्य शफीक पायेथ के रिमांड नोट में ईडी ने सनसनीखेज दावे किए हैं। एजेंसी का कहना है कि पीएफआई ने इस साल 12 जुलाई को पीएम मोदी के पटना दौरे पर हमला करने के लिए ट्रैनिंग कैंप लगाया था। खास बात है कि साल 2013 में इंडियन मुजाहिदीन से जुड़े आतंकियों ने भी उनकी रैली में धमाका किया था।
गुरुवार को हुई थी बड़ी कार्रवाई
गुरुवार को देश के करीब 13 राज्यों में ईडी और नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी के साथ मिलकर रेड की थी। उस दौरान NIA ने 100 से ज्यादा कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया था। जबकि, ईडी ने चार लोगों को हिरासत में लिया था। इनमें परवेज अहमद, मोहम्मद इलियास और अब्दुल मुकीत का नाम शामिल है। ईडी इससे पहले भी इन सभी से मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के दौरान पूछताछ कर चुकी है।
इधर, जांच एजेंसी ने पायेथ पर भी शिकंजा कसा है। आरोप है कि उसने भारत में NRI खाते का इस्तेमाल कर PFI के लिए विदेश से धन ट्रांसफर किया। रिपोर्ट के अनुसार, ईडी ने बताया है कि बीते साल पायेथ के ठिकानों पर रेड की थी। एजेंसी ने कहा, ‘पीएफआई और उससे जुड़ी संस्थाओं के खातों में 120 करोड़ रुपये से ज्यादा जमा किए गए थे। इसका एक बड़ा हिस्सा देश और विदेश से संदिग्ध स्त्रोत से कैश में जमा किया गया था।’
पीएफआई ने विदेश में रहने वाले सदस्यों के जरिए ‘छुपाकर’ कोष लिया: ईडी
भाषा के अनुसार, ईडी ने शुक्रवार को कहा कि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के विदेश में रहने वाले कुछ सदस्यों ने भारत में प्रवासी भारतीयों (एनआरआई) खातों में कोष भेजा जिसे बाद में कट्टरपंथी इस्लामी संगठन को स्थानांतरित कर दिया गया। इसका मकसद विदेशी वित्तोषण से संबंधित कानून से बचना था।
समाचार एजेंसी के मुताबिक, ईडी ने आरोप लगाया कि पीएफआई ने विदेश में कोष इकट्ठा किया और उसे हवाला/अन्य माध्यम से भारत भेजा। ईडी ने कहा कि कोष पीएफआई/सीएफआई और अन्य संबंधित संगठनों के सदस्यों, कार्यकर्ताओं या पदाधिकारियों के खातों के जरिए भी भेजा गया। एजेंसी ने कहा कि विदेश से हासिल कोष को सरकारी एजेंसियों से छुपाया गया और पीएफआई द्वारा ऐसे कोष और चंदा को जुटाने में नियमों का पालन नहीं किया गया, क्योंकि वह विदेशी योगदान विनियमन अधिनियम (एफसीआरए) के तहत पंजीकृत नहीं है।